Varanasi News: अब आप मोबाइल में बिना सिम कार्ड के चैटिंग कर सकते हैं. इसे सम्भव कर दिखाया है IIT-BHU ने. आमतौर पर चैटिंग करने के लिए मोबाइल को प्रॉपर नेटवर्क या वाईफाई चाहिए, पर IIT-BHU ने इसके बिना भी इसे संभव बना दिया है. ऐसा करने वालो में IIT-BHU देश का पहला इंटीट्यूट बन गया है जो LoRaWAN (लोरावैन) नेटवर्क से लैस हो गया है.
इस नेटवर्क से अब IIT-BHU कैम्पस में वैज्ञानिक, स्टूडेंट और स्टाफ के मोबाइल में नेटवर्क रहे या न रहे लेकिन वह एक दूसरे के संपर्क में रह सकते हैं, और कोई भी डाटा रियल टाइम में एक दूसरे को भेज सकते हैं. इस रिसर्च पर IIT-BHU के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता की टीम ने सफलता हासिल की है.
IIT-BHU के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता ने बताया कि इसका उपयोग डिफेंस और वॉर में किया जा सकता है. युद्ध के दौरान यदि सैनिकों के पास यह मशीन हो तो 10 किलोमीटर के रेंज में वे मैसेज का आदान-प्रदान कर सकते हैं. दूसरी बात यह है कि इसके मैसेज को हैक भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होता. वहीं यदि 10-10 किलोमीटर के रेंज में और भी कई मशीनें स्थापित हो जाए तो जरूरत के अनुसार जितना चाहे उतना एरिया कवर किया जा सकता है. इसकी एक खासियत यह भी है कि आपदा के वक्त जब नेटवर्क ध्वस्त हो जाता है तो उस समय भी कम्युनिकेशन और लोकेशन पता करने के लिए इसका उपयोग हो सकता है.
IIT-BHU के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता, उनके दो शोधार्थियों शुभम पांडेय, हिमांशु पांडेय के साथ संस्थान की डॉ. तनिमा दत्ता, डॉ. प्रीति कुमारी, रमाकांत ने इस नेटवर्क सिस्टम पर रिसर्च किया है. डॉ. हरि प्रभात ने कहा कि इसे शहर में यदि 10-10 किलोमीटर की दूरी पर लगा दिया जाए तो पूरे शहर के लोग आपस में बातचीत कर सकते हैं.
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता ने बताया कि इस नेटवर्क के लिए संस्थान ने एक गेटवे (छोटी सी मशीन) लगाया है, जिसकी रेंज 10 किलोमीटर तक है. इसमें आपका डाटा 15-20 KB प्रति सेकेंड की गति से आ-जा सकेगा. वहीं हमारे मोबाइल से गेटवे को कनेक्ट करने के लिए एक डोंगल साथ में रखना होगा. उन्होंने बताया कि इस नेटवर्क की खासियत यह है कि जिस किसी के भी पास यह डोंगल होगा उसका लोकेशन मेन सर्वर रूम में मिलता रहेगा. यानी कि इस डोंगल को यदि आपके अपनी गाड़ी या स्कूटर में भी रख दिया है और वह कहीं चोरी हाे जाती है तो उसका लोकेशन आपको आसानी से मिल जाएगी. वहीं, इसमें जो बैटरी लगी होती है वह पांच साल तक डिस्चार्ज ही नहीं होगी.
IIT-BHU के डायरेक्टर प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि इस नेटवर्क को तैयार करने के लिए संस्थान ने वित्तीय और ढांचागत सुविधा उपलब्ध कराया है. संस्थान अब बहु-मंजिला इमारतों को LORaWAN सक्षम स्मार्ट बिल्डिंग में बदलने के लिए काम कर रहा है. इसका उपयोग बिजली, पानी और गैस मीटर की ऑटोमैटिक रीडिंग और वाहन पार्किंग स्थानों की देखरेख में भी लिया जाएगा, जिससे इस रिसर्च को पब्लिक यूटिलिटी के साथ जोड़ा जा सके.
IIT-BHU के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता ने बताया कि इस LoRaWAN (लोरावैन) नेटवर्क से मिट्टी की सेहत की जांच भी की सकती है. मिट्टी का परीक्षण करने वाले डिवाइस को इसके साथ जोड़ा जा सकता है. जहां से डेटा निरंतर आता रहेगा. हरि प्रभात बताते हैं कि इस डेटा ट्रांसफर में ब्लूटूथ से भी कम एनर्जी खर्च होती है. वहीं इसका उपयोग करने के लिए लोगों को अपने पास एक डोंगल रखना होगा. यह एक हजार रुपए तक आता है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह