कैदियों के Techguru बने रक्षित कौशिक, देशभर में 35K लोगों का कौशल प्रशिक्षण देकर संवार चुके हैं जीवन
तकनीक से पिछड़े लोगों को तकनीकी ज्ञान देते हुए उन्हें रोजगार पाने के योग्य बनाने का यह काम वे काफी अच्छी तरह से कर रहे हैं. बता दें कि रक्षित ने अब तक पूरे भारत में 35,000 से अधिक छात्रों को शिक्षा देकर पाने के योग्य बनाया है. उन्होंने अपने संगठन में एक वर्टिकल की शुरुआत की है ताकि...
TechSahayata’s Creation: हाल में अपराधियों के व्यवहार (Criminal Behaviour) पर हुए रिसर्च से पता चला है कि अशिक्षा के कारण अपराधी सुधरने के बजाय अपराध के दलदल में धंसते चले जा रहे हैं. शोध के अनुसार, बड़े स्तर पर देखा गया है कि जेल की सलाखों के पीछे अपने जीवन का बड़ा समय गुजारने के बाद भी लोग आपराधिक दुनिया से दूरी नहीं बना पाते. इसका कारण है, रोजगार पाने के लिए कौशल का अभाव. इसीलिए यह कहा जा सकता है कि किसी भी खास क्षेत्र, राज्य और देश में अशिक्षित लोगों की संख्या कम करके वहां के आपराधिक आंकड़ों में भी कमी दर्ज की जा सकती है. एक कार्यक्रम में यह जानकारी ‘टेक सहायता क्रियेशन’ (TechSahayata’s Creation) के संचालक रक्षित कौशिक ने दी.
हरियाणा और राजस्थान पुलिस से संपर्क कियादरअसल, रक्षित टेकसहायता क्रियेशन के संस्थापक हैं. यह एक ऐसा संगठन है जो लोगों को कौशल प्रशिक्षण देते हुए उन्हें रोजगार दिलाने में सहायक साबित होता है. तकनीक से पिछड़े लोगों को तकनीकी ज्ञान देते हुए उन्हें रोजगार पाने के योग्य बनाने का यह काम वे काफी अच्छी तरह से कर रहे हैं. बता दें कि रक्षित ने अब तक पूरे भारत में 35,000 से अधिक छात्रों को शिक्षा की रोशनी से रोजगार पाने के योग्य बनाया है. उन्होंने अपने संगठन में एक वर्टिकल की शुरुआत की है ताकि दोषियों को रिहाई के बाद रोजगार हासिल करने में मदद मिल सके. तकनीकी मदद पाकर वे भेदभाव से लड़ सकेंगे. रक्षित ने साइबर क्रिमिनल्स को डिजिटल दुनिया में आकर्षक नौकरियां पाने में मदद करते हुए अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा और राजस्थान पुलिस से संपर्क किया है.
रक्षित का मानना है कि यदि हमारा लक्ष्य कैदियों को उचित पुनर्वास मुहैया कराना है तो हमें उन्हें उचित और आवश्यक शिक्षा देने और सही मार्गदर्शन कराना होगा. यही नहीं कैदियों का नैतिक मार्गदर्शन भी करना चाहिए, जो उन्हें जेल से बाहर आने पर नए रूप में उभरने के लिए मदद कर सके. ऐसा होने पर ही वे अपना शेष जीवन शांति और सम्मान से व्यतीत करते हैं. लक्षित का मानना है कि ऐसा करने के बाद ही हम अपराधियों को आर्थिक रूप से खुद का समर्थन करने और रिहाई के बाद समाज में सकारात्मक योगदान करने में मदद करता है. यहां यह जानना जरूरी है कि हरियाणा और राजस्थान पुलिस के सहयोग से उन्होंने पिछले 4 महीनों में 10 से अधिक कैदियों के साथ काम किया है. कई किशोर बंदियों की काउंसिलिंग की है. भविष्य में उनका लक्ष्य कई और लोगों के साथ काम करना है.
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