Gorakhpur News: सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई टेलीमेडिसिन की सुविधा गोरखपुर में बेहद सफल साबित हो रही है. इसके जरिए लोग फोन पर डॉक्टर से परामर्श ले रहे हैं. इसके लिए उन्हे सिर्फ अपने करीब के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर जाना होता है.
वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मी ई संजीवनी ऐप के जरिए वीडियो कॉल से रोगी की डॉक्टर से बात कराते हैं. इसके बाद डॉक्टर के परामर्श के आधार पर मरीजों को दवा दी जाती है. यह दवाएं मरीजों को नि:शुल्क दी जाती है. गोरखपुर जिले में अब तक 96,000 से अधिक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग टेलीमेडिसिन के जरिए विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श ले चुके हैं.
गोरखपुर जिले में 244 उप केंद्रों व 75 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए आम जनता को टेलीमेडिसिन की सुविधा दी जा रही है. वहीं 84 हब सेंटर बनाए गए हैं, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर बैठते हैं.
इस सेवा के शुरू हो जाने से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के रुपये बच रहे हैं और साथ में समय की भी बचत हो रही है. दरअसल अधिकतर स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद नहीं है. इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उपचार के लिए शहर आना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीणों को गांव के ही स्वास्थ्य केंद्र से जिले में बैठे विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श मिल रहा है, जिससे वह सीधे तौर पर सुविधा का लाभ उठा रहे हैं.
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सीएमओ खुद टेलीमेडिसिन के जरिए देख रहे मरीज
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और ब्लॉक पर हब सेंटर बनाये गए हैं. वहां पर मौजूद डॉक्टर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक टेलीमेडिसिन के जरिए लोगों को सेवा दे रहे हैं. इस वजह से चिकित्सकों की ओपीडी प्रभावित नहीं हो इसलिए हब सेंटर में हर दिन अलग-अलग डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जाती है. गोरखपुर के सीएमओ डॉ. आशुतोष दुबे खुद टेलीमेडिसिन के जरिए मरीजों को देखते हैं.
डॉ. दुबे ने बताया कि जिले में 84 हब सेंटर बनाए गए हैं. सभी सेंटर पर डॉक्टर बैठ रहे हैं. टेलीमेडिसिन के जरिए वह मरीजों को देखने के बाद परामर्श देते हैं और उन्हें दवाई दी जाती है. इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र पर जाना होता है. स्वास्थ्यकर्मी ई संजीवनी ऐप के जरिए वीडियो कॉल से रोगी की डॉक्टर से बात कराते हैं. ये सुविधा बेहद कारगर साबित हो रही है, ज्यादा से ज्यादा मरीज इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
रिपोर्ट-प्रदीप तिवारी, गोरखपुर