Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होने की योग्यता को अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है. मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार इस सिलसिले में एक प्रस्ताव तैयार कर रही है. प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने रविवार को बताया कि राज्य सरकार मदरसों में शिक्षकों की भर्ती में टीईटी प्रमाण पत्र को अनिवार्य बनाएगी.
जानकारी के मुताबिक, इसके लिए सरकार एक प्रस्ताव तैयार करवा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के मदरसों में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है क्योंकि यह वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया कोर्स है. इसलिए इसे बेहतर ढंग से पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों का होना लाज़मी है. उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर सरकार मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रतिभागियों का टीईटी उत्तीर्ण होना आवश्यक करने जा रही है. हालांकि अंसारी ने स्पष्ट किया कि टीईटी की अनिवार्यता उर्दू, अरबी, फारसी या दीनियात के शिक्षकों के लिए लागू नहीं होगी. यह सिर्फ एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती पर ही लागू की जाएगी. इस सवाल पर कि मदरसों में शिक्षकों की भर्ती का कानूनी अधिकार उनकी प्रबंध समितियों के पास होता है, क्या सरकार भर्ती में टीईटी की अनिवार्यता लागू करने के लिए कानून में कोई बदलाव करेगी, अंसारी ने कहा, ‘नहीं ऐसा कुछ भी नहीं होगा. बस हम इतना करने जा रहे हैं कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा के शिक्षकों की भर्ती में टीईटी योग्यता अनिवार्य हो.’
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में तहतानिया (कक्षा एक से पांच), फौकानिया (कक्षा पांच से आठ) और आलिया या उच्च आलिया स्तर (हाईस्कूल व उससे ऊपर) के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई की मंजूरी दी थी. ‘टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया’ के संयुक्त महामंत्री हकीम अब्दुल हक ने मदरसा शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की अनिवार्यता की तैयारी के बारे में कहा कि इससे मदरसा शिक्षकों में भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा देने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता लागू करने से एक ही मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षकों के बीच योग्यता का व्यावहारिक अंतर होगा, क्योंकि टीईटी पास करके भर्ती होने वाले शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता दीनियात या उर्दू, अरबी, फारसी पढ़ाने वाले शिक्षकों से ज्यादा होगी. उन्होंने कहा,‘‘ वह प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक होगा और भर्ती परीक्षा भी पास करके आएगा तो क्या दोनों ही तरह के शिक्षकों को सरकार एक ही श्रेणी में रखेगी? इससे भेदभाव की आशंका बढ़ेगी, ठीक वैसे ही जैसे प्राथमिक पाठशालाओं में स्थाई शिक्षकों और शिक्षामित्रों के बीच होता है.’
हक ने मांग की कि सरकार उर्दू, अरबी, फारसी और दीनियात पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी बी. एड. या डी.एल.एड. कराने का रास्ता निकाले और यह तभी होगा जब सरकार या तो मदरसों की जूनियर कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी यह डिग्रियां हासिल करने के लिए रियायत दें या फिर दीनियात और उर्दू, अरबी, फारसी पढ़ाने वाले मदरसा शिक्षकों के लिए विशेष टीईटी कोर्स निर्धारित करे. मदरसों में शिक्षकों की भर्ती के लिए वर्तमान में लागू प्रक्रिया के मुताबिक तहतानिया (कक्षा एक से पांच) में पढ़ाने वाले शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता आलिम या उर्दू से इंटरमीडिएट अथवा उसके समकक्ष कोई प्रमाण पत्र होना चाहिए.
इसके अलावा फौकानिया (कक्षा पांच से आठ) में पढ़ाने के लिए शिक्षक की न्यूनतम योग्यता कामिल की डिग्री या अरबी फारसी अथवा दीनियात से किसी विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और आलिया (हाईस्कूल व उससे ऊपर) कक्षा के शिक्षक के लिए फाजिल या अरबी या फारसी अथवा धर्म शास्त्र में परास्नातक की डिग्री होनी चाहिए. प्रदेश में मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त करीब 16,461 मदरसे हैं. इनमें से 560 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं.