हाथरस पीड़िता का केस वही वकील लड़ेगी जिसने निर्भया को दिलाया था इंसाफ, प्रशासन ने परिवार से मिलने पर लगायी पाबंदी

हाथरस गैंगरेप मामले में एक नया मोड़ आता दिखाई दे रहा है. दरिंदों की बेरहमी की शिकार हुई पीड़िता को इंसाफ वही वकील दिलाएंगी, जिन्होंने निर्भया को इंसाफ दिलाया था. हाथरस गैंगरेप कांड की शिकार पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए निर्भया का केस लड़ने वाली वकील सीमा समृद्धि उसके परिवार से मुलाकात करने के लिए हाथरस रवाना हो गई हैं. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि निर्भया को इंसाफ दिलाने वाली वकील सीमा समृद्धि हाथरस की बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए बिना किसी फीस के ही केस लड़ेंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2020 7:24 PM

नयी दिल्ली : हाथरस गैंगरेप मामले में एक नया मोड़ आता दिखाई दे रहा है. दरिंदों की बेरहमी की शिकार हुई पीड़िता को इंसाफ वही वकील दिलाएंगी, जिन्होंने निर्भया को इंसाफ दिलाया था. हाथरस गैंगरेप कांड की शिकार पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए निर्भया का केस लड़ने वाली वकील सीमा समृद्धि उसके परिवार से मुलाकात करने के लिए हाथरस रवाना हो गई हैं. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि निर्भया को इंसाफ दिलाने वाली वकील सीमा समृद्धि हाथरस की बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए बिना किसी फीस के ही केस लड़ेंगी. वकील सीमा की पीड़िता के परिवार से फोन पर बात भी हो गई है.

प्रशासन ने परिवार से मिलने पर लगायी पाबंदी

उधर, हाथरस पहुंची निर्भया मामले की केस लड़ने वाली सुप्रीम कोर्ट की वकील सीमा को पीड़िता के परिवार से प्रशासन द्वारा मिलने नहीं दिया जा रहा है. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि परिवार (कथित गैंगरेप पीड़िता का) ने मुझे हाथरस बुलाया है, क्योंकि वे चाहते हैं कि मैं उनके कानूनी सलाहकार के रूप में खड़ा रहूं. मुझे उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है, क्योंकि प्रशासन का कहना है कि यह कानून और व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करेगा.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

इस बीच, खबर यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. जनहित याचिका में मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या एसआईटी से कराने की मांग की गई है. याचिका में जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान या रिटायर्ड जज से कराने की मांग भी की गई है.

हाथरस केस की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग

जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे, अधिवक्ता विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से निष्पक्ष जांच के लिए उचित आदेश पारित करने का आग्रह किया है और साथ ही, अपील की है कि या तो इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए या एसआईटी द्वारा इसकी जांच हो.

सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में हो जांच

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान या रिटायर्ड जज से कराई जानी चाहिए. इसके अलावा, जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में मामले की जांच और ट्रायल निष्पक्ष नहीं हो पाएगा, इसलिए इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

पीड़िता ने सफदरजंग अस्पताल में तोड़ा दम

याचिका में कहा गया है कि पीड़िता के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और फिर बेरहमी से मारपीट की गई और एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उसकी जीभ कटी हुई थी और उसकी गर्दन और पीठ की हड्डियां आरोपियों ने तोड़ दीं, जो उच्च जाति के थे। इसके बाद पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया.

यूपी पुलिस ने पीड़िता से रेप नहीं होने का किया दावा

उधर, रिपोर्ट यह भी है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उत्तर प्रदेश के एडिशनल डीजीपी ने यह दावा किया है कि हाथरस में गैंगरेप पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है. अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) आनंद कुमार ने यहां कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल के मुताबिक दलित युवती की मौत गले में चोट लगने और उसके कारण हुए सदमे की वजह से हुई थी. उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट से भी यह साफ जाहिर होता है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.

यूपी पुलिस जातीय हिंसा भड़काने का लगाया आरोप

उन्होंने कहा कि वारदात के बाद युवती ने पुलिस को दिए गए बयान में भी अपने साथ बलात्कार होने की बात नहीं कही थी. उन्होंने कहा कि उसने सिर्फ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया था. कुमार ने कहा कि सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और जातीय हिंसा भड़काने के लिए कुछ लोग तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं.

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Posted By : Vishwat Sen

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