कोरोना संक्रमण का असर पूरे देश में है. दूसरी लहर में मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे लोगों की भारी संख्या ने अंतिम संस्कार में होने वाले खर्च को बढ़ा दिया है. वाराणसी की कई घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए ज्यादा पैसे वसूल किये जा रहे हैं.
वाराणसी में मशहूर श्मशान घाट हरिश्चंद्र घाट में लोगों को भारी भरकम रकम चुकानी पड़ रही है. ऐसा नहीं है कि आप भारी भरकम पैसे देकर आसानी से अंतिम संस्कार कर सकते हैं इसके लिए भी आपको घंटों इंतजार करना पड़ेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार लहरतारा में एक दुकान चलाने वाले राजेश सिंह के चाचा की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो गयी. राजेश अपने चाचा के दाह संस्कार के लिए हरिश्चंद्र घाट पहुंचे.
यहां उन्हें कई घंटो का इंतजार करना पड़ा जब अंतिम संस्कार का वक्त आया तो उनसे 10000 रुपये मांगे गये उन्होंने जब इतने पैसों को लेकर आपत्ति जतायी तो उन्हें यहां से शव ले जाने के लिए कह दिया गया है. बातचीत में उन्होंने बताया कि लकड़ी और दूसरी सामग्री को मिलाकर खर्च 50000 रुपये से अधिक नहीं होती है लेकिन इस बार उनसे ज्यादा पैसे मांगे जा रहे हैं.
यह हाल सिर्फ वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट का नहीं है. उत्तर प्रदेश के ज्यादातर श्मशान घाटों में ऐसे ही मनमानी तरीके से पैसे वसूलने की जानकारी सामने आ रही है .इन जगहों में लोगों के पास ज्यादा पैसे देने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है. अपनों की लाश लेकर पहुंचे लोगों के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह अंतिम संस्कार के लिए मोल भाव करें.
दाह संस्कार के लिए लकड़ी 4000 रुपये तक आती है. इसी के लिए 11,000 रुपए से ज्यादा वसूला जा रहा है. ऐसे वक्त में लोग ज्यादा पैसा देकर ही अंतिम संस्कार करवा रहे हैं. वो शव को लेकर कहीं और जाने की स्थिति में नहीं है.
राजेश सिंह से तो सिर्फ 11000 रुपये मांगे गये इसी हरिश्चंद्र घाट पर एक व्यक्ति से 22,000 रुपए मांगे गये थे मैंने दिया इस बार शनिवार को मेरी दादी का निधन हो गया तो मुझे 30,000 रुपे देने पड़े हैं. आप ऐसे वक्त में हैं जब आपको किसी अपने का अंतिम संस्कार करना है, भीड़ बहुत है.
दवा से सिर्फ चार दिनों में ठीक हो सकते हैं कोरोना संक्रमित मरीज, AAYUDH Advance दवा पर शोध के बाद दावाऐसे में आप पैसा नहीं देख सकते हैं, जो मांगा जा रहा है, देना होगा. इतना पैसा देने के बाद भी लोगों को परेशानी हो रही है, लंबे समय तक इंतजार भी करना पड़ रहा है और अंतिम संस्कार के लिए ठीक से लकड़ियां भी नहीं मिल रही है.