बांसुरी उद्योग को बढ़ाने के लिए पीलीभीत के DM ने उठाया यह अनोखा कदम, 75 जिलों को भेजे ‘तोहफे’
पीलीभीत का बांसुरी उद्योग 'एक जनपद एक-उत्पाद' योजना में शामिल है. बांसुरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काफी कोशिश चल रही है. मगर अब डीएम पीलीभीत पुलांकित खरे ने दिवाली से पहले प्रदेश के सभी 75 जिलों के डीएम को बांसुरी का तोहफा भेजा है.
Bareilly News : उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत की पहचान एवं ‘एक जनपद एक-उत्पाद योजना’ में शामिल बांसुरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए डीएम पीलीभीत पुलांकित खरे ने प्रदेश भर के सभी 75 जिलों के डीएम को दीपावली से पहले बांसुरी का तोहफा भेजा है. बांसुरी के साथ एक पत्र भी है. इस पत्र के माध्यम से डीएम ने शुभकामना और पीलीभीत की पहचान बांसुरी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सहयोग मांगा है.
पीलीभीत का बांसुरी उद्योग ‘एक जनपद एक-उत्पाद’ योजना में शामिल है. बांसुरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काफी कोशिश चल रही है. मगर अब डीएम पीलीभीत पुलांकित खरे ने दिवाली से पहले प्रदेश के सभी 75 जिलों के डीएम को बांसुरी का तोहफा भेजा है. इस तोहफे के साथ एक पत्र भी है. इस पत्र में डीएम ने सभी डीएम से जनपदों में होने वाले मेला, उत्सव और महोत्सव में पीलीभीत के बांसुरी कारीगरों को आमंत्रित करने की बात कही है. इनमें बांसुरी के स्टॉल लगवाएं. इसी उम्मीद से कारीगर इकरार मियां व अन्य कारीगरों द्वारा तैयार बांसुरियों को विभिन्न जनपदों में भेजा जा रहा है.
डीएम ने सभी जिलों के डीएम को शुभकामना संदेश भी लिखा है. इसमें कहा गया है कि ‘एक जनपद-एक उत्पाद योजना’ के अंतर्गत बांसुरी का चयन किया गया है. जनपद परंपरागत रूप से बांसुरी नगरी के रूप में जाना जाता है. देश-विदेश में कान्हा की मुरली पीलीभीत के कारीगरों द्वारा अपने हुनर के सुरों से सजाकर भेजी जाती है. 200 से 250 कारीगर परिवारों की आजीविका सीधे तौर पर इससे जुड़ी है. अगर सभी जनपद जनपद में मेले, उत्सव, हाट-बाजार में पीलीभीत के बांसुरी कारीगरों को बुलाते हैं, तो इसका प्रचार होगा और व्यापार भी बढ़ेगा.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद
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