शरद पूर्णिमा पर रात को ताजमहल नहीं देख सकेंगे सैलानी

हमेशा की तरह शरद पूर्णिमा के चाँद की रोशनी में ताजमहल के नगीने इस बार भी चमकेंगे, मगर सैलानी यह अद्भुत नज़ारा नहीं देख सकेंगे . महामारी के चलते ताजमहल के रात्रि दर्शन पर फ़िलहाल पाबंदी है. सोलह वर्षों में ऐसा पहली होगा कि लोग चांदनी रात में ताजमहल क़रीब से नहीं देख पाएंगे. शरद पूर्णिमा की चांदनी में नहाए ताजमहल पर यह चमकी देखने के लिए हर साल लोग दूर-दूर से जुटते थे.

By संवाद न्यूज | October 30, 2020 10:03 PM
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हमेशा की तरह शरद पूर्णिमा के चाँद की रोशनी में ताजमहल के नगीने इस बार भी चमकेंगे, मगर सैलानी यह अद्भुत नज़ारा नहीं देख सकेंगे . महामारी के चलते ताजमहल के रात्रि दर्शन पर फ़िलहाल पाबंदी है. सोलह वर्षों में ऐसा पहली होगा कि लोग चांदनी रात में ताजमहल क़रीब से नहीं देख पाएंगे. शरद पूर्णिमा की चांदनी में नहाए ताजमहल पर यह चमकी देखने के लिए हर साल लोग दूर-दूर से जुटते थे.

चांदनी रात में ताजमहल की ख़ूबसूरती और बढ़ जाती है. इसके गुम्बद और मीनारों में हुई पच्चीकारी में जड़े पत्थर पर चंद्रमा की रोशनी चमक उठते हैं. स्थानीय लोग इसे चमकी कहते हैं. और इन्हें मुख्य गुंबद के प्लेटफार्म से ही चमकते हुए देखा जा सकता है.

कभी पूर्णिमा की रात को देखने ताजमहल देखने के लिए बेशुमार भीड़ जुटती थी. पूरे सात दिनों तक परिसर के अंदर और बाहर भी मेले का नज़ारा हुआ करत था. सन् 1984 में सुरक्षा कारणों से ताजमहल परिसर में रात को घुसने पर रोक लगा दी गई तो रात्रि दर्शन का आयोजन भी बंद हो गया.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नवंबर, 2004 में ताजमहल के रात्रि दर्शन की फिर शुरूआत हुई. तब से पूर्णिमा के दो रोज़ से पहले शुरू होकर दो रोज़ बाद तक यानी पांच दिनों तक सैलानियों को परिसर में जाकर ताजमहल देखने का कार्यक्रम चलता है. शाम को साढ़े आठ बजे से रात को साढ़े बारह बजे तक पचास-पचास सैलानियों के ग्रुप को परिसर में प्रवेश मिलता है. रात्रि दर्शन के लिए टिकट एक रोज़ पहले बुक कराने होते हैं.

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अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार के मुताबिक शरद पूर्णिमा पर ताज रात्रि दर्शन नहीं होगा. रात्रि दर्शन के लिए अभी तक कोई दिशानिर्देश जारी नहीं हुए है. यमुना के पार मेहताब बाग़ में बने व्यू पॉइंट से भी रात्रि दर्शन की इज़ाजत नहीं होगी.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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