Gorakhpur: त्रेतायुग से चली आ रही है गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा, जानें क्यों खास है यहां का मेला
Gorakhpur News: मकर संक्रांति को लेकर गोरखपुर में तैयारियों जोर-शोर से चल रही है. यहां मकर संक्रांति से शुरू होकर माह भर चलने वाला खिचड़ी मेला बेमिसाल है. पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की त्रेतायुगीन यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक आस्था को समर्पित है.
Gorakhpur News: लोक आस्था का उफान देखना हो तो मकर संक्रांति पर चले आइए गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर. यहां मकर संक्रांति से शुरू होकर माह भर चलने वाला खिचड़ी मेला बेमिसाल है. यह मेला श्रद्धा, मनोरंजन और रोजगार का संगम भी है. पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की त्रेतायुगीन यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है.
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने का परंपरागोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है. मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा, खाली हाथ नहीं लौटा है. ठीक वैसे ही जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता.
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है. मान्यता है कि आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे. मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया. कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं.
Also Read: UP Weather Update: गोरखपुर वासियों को मिल सकती है ठंड से राहत, पश्चिम यूपी में कल बारिश का अलर्टउन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए. भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और राप्ती और रोहिन के तट पर जंगलों में बसे इस स्थान पर धूनी रमाकर साधनालीन हो गए. उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे. इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई. तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है. कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है.
गोरखपुर में तैयारियों जोर-शोर सेमकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरानुसार शिवावतारी गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाकर समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना करते हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं.
गोरखपुर में ऐसे मनाया जाता है खिचड़ीमकर संक्रांति के दिन भोर में चार बजे सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित करते हैं. तत्पश्चात नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ाई जाती है. इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में निवेदित होनी शुरू हो जाती है. खिचड़ी महापर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सज धजकर तैयार हो रहा है. यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला एक दिन पूर्व ही प्रारम्भ हो जाता है. मंदिर प्रबंधन की तरफ से उनके ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरा इंतज़ाम किया जाता है.
जिला प्रशासन ने लिया तैयारियों का जायजागोरखपुर जिला प्रशासन की तरफ से और नगर निगम की तरफ से खिचड़ी पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्था भी की गई है जगह जगह पर नगर निगम प्रशासन द्वारा अलाव की व्यवस्था की गई है मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो इसलिए लाइट की पूरी व्यवस्था की गई है.
गोरखपुर जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन से लेकर गोरखनाथ मंदिर तक लाइट की व्यवस्था की गई है. वहीं श्रद्धालुओं के रुकने के लिए रैन बसेरे मैं भी व्यवस्था की गई है जगह-जगह पर अस्थाई रैन बसेरा की भी प्रशासन द्वारा व्यवस्था की गई है इतना ही नहीं रास्ते में कई जगहों पर नगर निगम प्रशासन द्वारा अलाव की भी व्यवस्था की जा रही है जिससे इस भीषण ठंड में श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके.
सामाजिक समरसता का केंद्र है गोरखनाथ मंदिरगोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं. इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं. यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है. यही नहीं मंदिर परिसर में माहभर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है.
Also Read: Gorakhpur : गोरखपुर महोत्सव में मालिनी अवस्थी ने सजाई भोजपुरी नॉइटमंदिर परिसर में नियमित रोजगार करने वालों से लेकर मेला में दुकान लगाने वालों तक, बड़ी भागीदारी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की होती है. उन्होंने कभी कोई भेदभाव महसूस नहीं किया बल्कि अपनेपन के भाव से विभोर होते रहते हैं. मेले में खरीदारी से लेकर मनोरंजन के साधनों तक भरपूर इंतज़ाम होता है. तरह-तरह के झूले और करतब देखकर बच्चों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता.
15 जनवरी को चढ़ेगी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ीगोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर्व (खिचड़ी) 15 जनवरी, 2023 (रविवार) को मनाया जायेगा. गोरक्षपीठ के प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी के अनुसार संवत 2079, शक 1944 माघ मास, कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि के ब्रह्म मुहूर्त में 3 बजकर 2 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करेंगे. इस पर्व पर ऊनी वस्त्र, तेल, घी, तिल, गुड़ आदि द्रव्यों का दान करना श्रेयस्कर होता है.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप, गोरखपुर