Union Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट बुधवार को मिलीजुली प्रतिक्रिया लेकर आया. एक तरफ वेतनभोगी लोगों ने टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाये जाने का खुले दिल से स्वागत किया, तो वहीं व्यापारियों ने कुछ खास न होने पर निराशा जतायी, कर्मचारियों एक वर्ग जो पुरानी पेंशन की मांग कर रहा है, वह भी बजट से निराश दिखा.
फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष व पूर्व चेयरमैन स्टेट फार्मेसी काउंसिल उत्तर प्रदेश सुनील कुमार यादव ने कहा कि बजट (Union Budget 2023) में पुरानी पेंशन बहाली नहीं होने से कर्मचारियों में निराशा है. फार्मा रिसर्च, इन्वेस्टमेंट बढ़ाया जाना स्वागत योग्य कदम है. फार्मा रिसर्च में निवेश को बढ़ाने तथा रिनोवेशन को प्राथमिकता देने की घोषणा वित्त मंत्री द्वारा की गई है. इससे रोजगार का सृजन होगा, वहीं फार्मा उद्योग और फार्मेसी क्षेत्र के योग्य लोगों की मदद से जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत और विकास करेगा.
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सुनील यादव का कहना है कि कुल वैश्विक फार्मास्युटिकल निर्यात के 20% हिस्से के साथ भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है. मात्रा के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन आपूर्तिकर्ता भी है. इसलिए भारत को फार्मा हब के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. कर्मचारियों की मांग थी कि 10 लाख तक आय, पेंशन और मेडिकल प्रतिपूर्ति को आयकर मुक्त किया जाये. जिस पर वित्त मंत्री ने घोषणा नहीं की और कोई स्टैंडर्ड डिडक्शन भी नहीं बढ़ाया गया.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने केंद्र सरकार के बजट में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा न किए जाने के कारण बजट को कर्मचारी हितों के प्रतिकूल बताया है. परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा और प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए. 10 लाख तक की आय और पेंशन को आयकर से मुक्त किया जाये. लेकिन कर्मचारियों की इन मांगों पर बजट में कोई घोषणा नहीं की गई. बजट में टैक्स फ्री इनकम को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख किया जाना थोड़ा राहत जरूर देगा.
अतुल मिश्रा ने कहा कि मेडिकल रीइंबर्समेंट (चिकित्सा प्रतिपूर्ति) को टैक्स फ्री किया जाना चाहिए. क्योंकि यह किए हुए व्यय की प्रतिपूर्ति है. इसलिए यह इनकम का पार्ट नहीं हो सकता. परिषद ने स्थाई रोजगार सृजन की दिशा में कोई योजना ना होने पर भी चिंता व्यक्त की है. परिषद के अनुसार निजी करण की योजनाएं कभी भी देश हित में नहीं हो सकती. इसलिए सरकार को स्थाई रोजगार की दिशा में बजट बढ़ाना चाहिए.
संजय गांधी पीजीआई कर्मचारी महासंघ के महामंत्री धर्मेश कुमार ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट में देश के लगभग सभी तबके के लोगों को सौगात दी है. खासकर बजट में नौकरीपेशा वेतन भोगी कर्मचारियों का विशेष ध्यान रखते हुए उनको आयकर में फायदा दिया गया है. जिसका नौकरीपेशा मध्यमवर्गीय जनमानस इंतजार कर रहा था. हम वित्त मंत्री और केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हैं.
कर्मचारी नेता सच्चिता नन्द मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय बजट में युवाओं को निराशा हाथ लगी है. जहां एक तरफ लाखों युवा महंगी पढ़ाई करके नौकरी की तलाश में हैं, वही दूसरी ओर 80 लाख लोग राशन की लाइन में लगे हैं. सरकारी नौकरी बंद करके ठेके की नौकरी दी जा रही है. इस महंगाई पर कोई भी रोक लगाने का कोई प्लान नहीं बताया गया है. जब नई नौकरी में कुल वार्षिक आय ही 2 लाख नहीं तो जीवनयापन कैसे और टैक्स में छूट कैसी? युवा आज रोजी-रोटी को तरस रहा है, यह कैसा अमृत काल है!
सर्वहित व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार यादव ने कहा कि आयकर छूट सीमा में बढ़ोत्तरी व्यापारियों की मुख्य मांगो में से एक थी. जिसे सरकार ने पूरा किया. आयकर छूट सीमा बढ़ने से लोगों के पास पैसा बचेगा. जिससे व्यापार में बढोत्तरी के आसार हैं. टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग 90 दिन से घटाकर 16 दिन करना स्वागत योग्य फैसला है. MSME को ब्याजदर में 1 फीसदी छूट सेव्यापारियों को कुछ राहत मिलेगी. ई-कॉमर्स पोलीसी की मांग पूरी न करना निराशाजनक है. इस बजट में खुदरा व्यापारियों के लिए कुछ नहीं है.
सर्वहित व्यापार मंडल के व्यापारियों प्रदेश सचिव अफज़ल अहमद, प्रदेश मंत्री अजय वर्मा, मणि नाथ दुबे, सौरभ गुप्ता , अनिल सिंह , सनी सिंह, मोहम्मद महमूद, अश्वनी मिश्रा, वैभव अग्रवाल, मोहम्मद मुशीर , आनंद कटियार, इफ्तिकार खान, राजेश पाल, श्यामू सक्स्सेना, राजेंद्र शाहू, दीपक शर्मा ने आरआर गेस्ट हाउस सर्वोदय नगर इंदिरा नगर में वित्तमंत्री के बजट को ध्यान से सुना. उन्होंने कहा कि बजट से व्यापारियों में मायूसी के साथ एक आशा है कि आयकर सीमा छूट का फायदा शायद व्यापारियों को मिले.