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गुरु पूर्णिमा पर काशी की मुस्लिम महिलाओं ने दिया अनोखा संदेश, अपने गुरू का सम्‍मान कर लिया आशीर्वाद

मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि जाति धर्म से ऊपर है गुरु का दर्जा क्योंकि बिना गुरु की कृपा के ज्ञान सम्भव नहीं. ये बात जिहादियों को नहीं समझ आएगी क्योंकि वे तो सिर्फ मुसलमानों को धर्म के नाम पर भड़काकर नफरत के बीज बोना चाहते हैं लेकिन मुसलमान अपने पूर्वजों की परम्पराओं और संस्कृति को न छोड़ें.

Varanasi News: गुरु पूर्णिमा के अवसर पर काशी की मुस्लिम महिलाओं ने देश तोड़ने और नफरत फैलाने की साजिश करने वालों को करारा जवाब देते हुए गुरु बालक दास की आरती उतारकर नफरत के बीच गुरु सम्मान का अलग नजारा पेश किया. मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि जाति धर्म से ऊपर है गुरु का दर्जा क्योंकि बिना गुरु की कृपा के ज्ञान सम्भव नहीं. ये बात जिहादियों को नहीं समझ आएगी क्योंकि वे तो सिर्फ मुसलमानों को धर्म के नाम पर भड़काकर नफरत के बीज बोना चाहते हैं लेकिन मुसलमान अपने पूर्वजों की परम्पराओं और संस्कृति को न छोड़ें. भारत के गुरु गला काटना नहीं, गले मिलना सिखाते हैं.

राष्ट्र की एकता का संदेश दिया

काशी में गुरु पूर्णिमा के खास अवसर पर कुछ अलग नजारा देखने को मिला. पातालपुरी मठ में काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज को गुरु मानने वाले बड़ी संख्‍या में पहुंचे. यहां तक की महंत बालक दास को सम्मान देने मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे. मुस्लिम महिलाओं ने हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में गुरु की आरती उतारी. बालक दास के चरणों में पुष्प अर्पित कर विधिवत थाल सजाकर आरती करने वाली मुस्लिम महिलाएं अभि‍भूत थीं. महंत बालक दास ने मुस्लिम महिलाओं को आशीर्वाद दिया और धर्म जाति से ऊपर उठकर राष्ट्र की एकता का संदेश दिया.

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गुरु पूर्णिमा पर काशी की मुस्लिम महिलाओं ने दिया अनोखा संदेश, अपने गुरू का सम्‍मान कर लिया आशीर्वाद 2
पूर्वजों के संस्कार नहीं छोड़ने चाहिए

इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि जिस पर गुरु की कृपा होती है, वे कभी गलत रास्ते का चुनाव नहीं करते. हम कबीर और रहीम को मानने वाले सनातनी मुसलमान हैं. हमारे पूर्वज हिन्दू थे, उनका ही खून हमारे रगों में है. काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास महाराज ने कहा कि जिनकी आस्था सनातन संस्कृति में है वो कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं जा सकते. गुरु की शरण में रहने वाला ही ईश्वर का कृपापात्र बन पाता है. मुस्लिम समाज के लोग भी भारतीय और सनातनी हैं. इनको अपने पूर्वजों के संस्कार नहीं छोड़ने चाहिए. पूर्वजों की परम्पराओं और गुरुओं के साथ रहने वाले मुसलमान हर जगह इज्जत के पात्र हैं. आज नफरत नहीं बल्कि प्रेम की जरूरत है.

रिपोर्ट : विप‍िन सिंह

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