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UP Vidhan sabha Chunav 2022 : योगी सरकार से कोरोना काल में चूक…किसान आंदोलन…भाजपा की चुनाव में बढ़ा देगी टेंशन!

UP Assembly Election 2022 : अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा तैयारी में जुट गई है. पार्टी का खास ध्यान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है जहां पार्टी पदाधिकारियों की बैठक शनिवार को हुई. इसका उद्देश्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को बेहतर करना था. यह बैठक वृंदावन के केशवधाम में हुई, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के प्रदेश महासचिव(संगठन) सुनील बंसल को सौंपी गई थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2021 6:36 AM
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UP Assembly Election 2022 : अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा तैयारी में जुट गई है. पार्टी का खास ध्यान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है जहां पार्टी पदाधिकारियों की बैठक शनिवार को हुई. इसका उद्देश्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को बेहतर करना था. यह बैठक वृंदावन के ​केशवधाम में हुई, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के प्रदेश महासचिव(संगठन) सुनील बंसल को सौंपी गई थी.

बैठक के दौरान बंसल ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक अनुकूल माहौल बनाने के लिए तैयार करने पर जोर दिया. सूत्रों की मानें तो बैठक के दौरान, पार्टी के नेताओं ने महामारी से निपटने में सरकार की कुछ कथित चूक को लेकर लोगों के बीच कथित नाराजगी को शांत करने के लिए सक्रिय कदम उठाने का फैसला किया.

आपको बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की परेशानी बढने वाली है. जानकारों की मानें तो इस क्षेत्र में किसान आंदोलन का असर नजर आ सकता है. वैसे तो पूरे प्रदेश में जाटों की आबादी 6 से 8 प्रतिशत के आसपास है, लेकिन पश्चिमी यूपी की बात करें तो यहां जाट 17 फीसद से अधिक हैं.

खासतौर से सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, नगीना, फतेहपुर सीकरी और फिरोजाबाद में जाटों अच्छी खासी जनसंख्या देखने को मिलती है. इन जिलों में गुर्जरों की संख्या भी ज्यादा ही देखने को मिलती है, लेकिन जाट थोड़े ज्यादा हैं.

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ऐसे में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी दलों ने जाट वोटों को लेकर सक्रियता बढ़ाने पर बल दिया है, खासतौर से सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ने अपना पूरा ध्यान इसी पर केंद्रीत किया है. ऐसा कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, जाट मतदाता जिसपर मेहरबान हो गये उसका बेड़ा पार लग गया.

2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो यह बात सच होती नजर आती है. इससे भी पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जाटों ने अपना जनादेश कुछ इस तरह दिया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटें भाजपा के खाते में गई. यह सिलसिला 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा. इस क्षेत्र में भाजपा की एकतरफा जीत होती दिखी और सपा-बसपा और रालोद का मजबूत गठबंधन भी पिट गया.

Posted By : Amitabh Kumar

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