यूपी में भारतीय जनता पार्टी को ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई है. इस जीत के क्या मायने हैं. क्या यही प्रदर्शन पार्टी विधानसभा चुनाव में बरकरार रख पायेगी? इस जीत को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखना संभव है ? पार्टी की विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या होगी ? आइये ऐसे कई सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं ..
उत्तर प्रदेश में ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी सफलता मिली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत का श्रेय योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली, सरकारी योजनाओं में आम लोगों की पहुंच और उनकी रणनीति को दिया है. इस जीत और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की तरफ से योगी को मिल रही बधाई कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है.
अगले साल यूपी में चुनाव होने हैं. पार्टी पंचायत चुनाव और ब्लॉक चुनाव में मिली जीत को विधानसभा से जोड़कर देख रही है. इन चुनावों में पार्टी की जीत के अलावा हिंसा की खबरें भी प्रमुखता से चलती रही. योगी ने कड़ी कार्रवाई कर सरकार की सख्ती के भी संदेश दिये. बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ 626 सीटों पर विजयी हुई है. वहीं समाजवादी पार्टी 98 और कांग्रेस 5 सीटों पर जीती है जबकि 96 सीटों पर अन्य उम्मीदवार जीते हैं.
इस जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी बयान इशारा करता है कि वह पार्टी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा, हमने बिना किसी भेदभाव के जन-जन तक सरकारी योजनाओं के पहुंचाने का काम किया है. जिसका असर इन पंचायत चुनावों में देखने को मिला है. सीएम योगी ने कहा कि हमने यूपी में हर तबके के लिए काम किया है. पंचायत चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट हो गया है कि जनता का रुझान भाजपा की ओर है.
भाजपा विस चुनाव में अपनी जमीन मजबूत करने में लगी है. पार्टी की तमाम बैठकों में इस बात पर फोकस किया गया है कि पार्टी छोटे- छोटे इलाकों में भी मजबूत हो. पार्टी के नेताओं को जनता, संगठन और कार्यकर्ताओं से संवाद करने का आदेश दिया गया है ताकि हर क्षेत्र की समस्याओं को हल किया जा सके. पार्टी इस रणनीति के तहत काम कर रही है.
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पार्टी के नेता, विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति को और मजबूत करने में लगे हैं. पार्टी के अंदर के सूत्रों की मानें तो नेताओं को मानना है कि सरकार ने अच्छा काम किया है लेकिन अबतक जनता के बीच सरकार की उपलब्धियां उस तरह नहीं पहुंची है. चुनाव में सरकार के काम को आम जनता तक पहुंचना बेहद अहम है.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 67 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. पंचायत चुनाव में यह जीत क्या विधानसभा चुनाव में आंकड़ों में बदल पायेगी? इस सवाल के जवाब के लिए हमें पहले के आंकड़े और ट्रेंड को समझना होगा साल 2016 में 74 जिलों में हुए जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में सत्ता में रहते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) ने 59 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में भाजपा और बसपा को पांच-पांच, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल को एक-एक और तीन सीटों पर सपा के ही बागी चुनाव जीते थे.
अगर चुनाव के हार जीत के ट्रेंड पर नजर डालें तो पायेंगे 2011 में बसपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष की सर्वाधिक सीटें जीतीं और 2012 के विधानसभा चुनाव में हार गई. 2016 में जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में सपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीती और 2017 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गई. यह हार जीत कई मायनों में यह साबित करती है कि इस जीत को विधानसभा में मिलने वाली हार जीत से जोड़कर देखना मुश्किल है.
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ब्लॉक चुनाव में मिली जीत को लेकर भाजपा उत्साहित है लेकिन चुनाव में हुई हिंसा की खबरों ने इस जीत के मजे पर खलल डाला है. जीत की बधाई के साथ- साथ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से चुनावी हिंसा पर भी सवाल किये जा रहे हैं.
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को एक बयान में कहा, उत्तर प्रदेश में क्षेत्र पंचायत चुनावों में सरकारी मशीनरी की मदद से ब्लॉक प्रमुख पदों पर जबरन कब्जा किया जाना जनादेश का अपमान है, लोकतंत्र और संविधान में भाजपा सरकार की कोई आस्था नहीं है. यह जीत सत्ता के दम पर हासिल की गयी है. ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशियों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों का खुलेआम अपहरण किया गया चुनाव में धांधली का आरोप लगा.