ADR Report: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में तय सीमा का 47% खर्च करके बने विधायक, जानें क्‍या कह रहे आंकड़े?

विधानसभा चुनाव के दौरान विधायकों के लिए चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख रुपये निर्धार‍ित की गई थी. इसमें पाया गया है कि यूपी विधानसभा के 393 विधायकों के चुनाव खर्च घोषणाओं के आधार पर, चुनावों में उनकी ओर से खर्च की गई औसत राशि 18.88 लाख रुपये दर्ज की गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 5, 2022 2:14 PM

UP Assembly Election ADR Report 2022: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बाद 403 में से 393 नवनिर्वाचित विधायकों के चुनाव खर्च के विवरण का विश्लेषण किया है. विधानसभा चुनाव के दौरान विधायकों के लिए चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख रुपये निर्धार‍ित की गई थी. इसमें पाया गया है कि यूपी विधानसभा के 393 विधायकों के चुनाव खर्च घोषणाओं के आधार पर, चुनावों में उनकी ओर से खर्च की गई औसत राशि 18.88 लाख रुपये दर्ज की गई है. यानी यूपी के 393 विधायकों ने तय खर्च सीमा के 47 प्रतिशत भाग ही प्रचार में इस्‍तेमाल किया है.

222 विधायकों ने खर्च किया 50 प्रतिशत

यूपी इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 10 विधायकों के चुनाव खर्च के शपथपत्र स्पष्ट न होने के कारण उनका विश्लेषण नहीं किया है. यूपी इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने विश्लेषण किए गए 393 में से 222 यानी 56 प्रतिशत विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव खर्च सीमा से 50 प्रतिशत से कम खर्च घोषित किया है. वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के 393 विधायकों के चुनाव खर्च घोषणाओं के आधार पर, चुनावों में उनके द्वारा खर्च की गई औसत राशि 18.88 लाख रुपये है जो खर्च सीमा का 47 प्रतिशत ही है.

चुनाव में किस तरह के खर्च की रहती है अनुमत‍ि

आयोग के अनुसार, इन चुनाव खर्च दस्तावेजों में सार्वजनिक बैठकों और जुलूसों, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार करना, कार्यकताओं के अभियान पर खर्च, वाहनों का खर्च और अभियान सामग्री पर होने वाले खर्च का विवरण भी शामिल किया जाता है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-78 के तहत चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव के परिणाम की घोषणा की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपने चुनाव खर्चों की एक प्रतिलिपि (फोटोकॉपी) सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला निर्वाचन अधिकारी को पेश करनी होती है.

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