UP Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, राजनीतिक दलों ने मतदाताओं के विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. इसी कड़ी में सत्तारूढ़ दल भाजपा और कांग्रेस गन्ना किसानों को अपनी तरफ करने में जुटे हुए हैं. एक तरफ जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने (Chief Minister Yogi Adityanath) गन्ना किसानों के लाभ के लिए उठाए गए कदमों को गिनाया, वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने उनका खंडन किया. बीजेपी किसान मोर्चा (किसान विंग) मुख्यमंत्री का बचाव करने और कांग्रेस नेता को खारिज करने के लिए विस्तृत आंकड़े लेकर आया है.
आपको बता दें, तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की तीन सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के विरोध के मद्देनजर ये घटनाक्रम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि प्रदर्शनकारियों में पंजाब और हरियाणा के साथ ही पश्चिमी यूपी के किसान भी शामिल हैं. इसी बीच, 25 अगस्त को दो घटनाक्रम हुए.
पहला, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि पश्चिमी यूपी के ‘चीनी कटोरे’ में चीनी मिलों को बंद कर दिया गया था. अब हमारी सरकार में कई नई चीनी मिलें शुरू की गई हैं और कुछ बंद चीनी मिलों की क्षमता बढ़ाई गई है. उन्होंने दावा किया कि 2007 और 2016 के बीच गन्ना किसानों को केवल 95 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, वहीं 2017 और 2021 के बीच यूपी में 45.74 लाख से अधिक गन्ना किसानों को 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया गया है. वर्ष 2016-17 में जहां 6 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी, वहीं इस साल कोरोना के बावजूद रिकॉर्ड 56 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है.
दूसरा, मोदी सरकार ने अक्टूबर 2021 से शुरू होने वाले अगले चीनी सीजन के लिए गन्ने का एक नया उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) 290 रुपये प्रति क्विंटल, पिछले वर्ष की तुलना में 5 रुपये की वृद्धि को मंजूरी दी. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस फैसले से देश भर में चीनी मिलों में कार्यरत 5 करोड़ गन्ना किसानों के साथ-साथ 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा.
सीएम योगी के दावों के जवाब में प्रियंका गांधी ने गुरुवार को योगी सरकार पर गन्ना किसानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए बिजली की लागत कई गुना बढ़ गई है. डीजल के दाम सौ गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं, लेकिन किसानों के लिए 2017 से गन्ने की कीमत में 0 रुपये की वृद्धि हुई है. आखिर किसानों के साथ यह अन्याय क्यों?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी किसान मोर्चा (किसान शाखा) ने गुरुवार को योगी सरकार के समर्थन में आकर प्रियंका के आरोपों का खंडन किया. मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर, जो यूपी भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष हैं, ने कहा कि जब से मोदी पीएम बने हैं, गन्ना किसानों का कल्याण उनकी प्रमुख चिंता रही है और वह उनके हित में कई कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती, अगर मोदी ने उनके हितों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक फैसले नहीं लिए होते.
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चाहर ने कहा कि हाल ही में 55 लाख टन चीनी का निर्यात किया गया है और 40 लाख मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाया गया है. उन्होंने कहा कि एक ऐतिहासिक फैसले में मोदी सरकार ने घोषणा की, कि चीनी को घरेलू बाजार में 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से कम कीमत पर बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने अपने शासन के अंतिम वर्ष में ब्राजील से 40 लाख मीट्रिक टन चीनी का आयात किया, जिसकी आवश्यकता नहीं थी. उन्हें परिष्कृत करने के बाद वापस किया जाना था, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने कैबिनेट के फैसले के जरिए नियम बदल दिया और 18 महीने तक देश में इसका सेवन किया.
भाजपा नेता ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो चीनी की कीमत घटकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गई. गन्ना मिल मालिकों ने अपना व्यवसाय बंद कर दिया था क्योंकि भुगतान कुछ वर्षों से बकाया था. हालांकि, चाहर ने कहा, उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के 91,00 करोड़ रुपये में से, 86,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. उन्होंने कहा कि 2013-14 में 38 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा था. इस साल एथेनॉल का उत्पादन 400 करोड़ लीटर हो गया है. पहले शीरे से एथेनॉल बनाया जाता था, लेकिन अब इसे सीधे गन्ने के रस से बनाया जाता है.
भाजपा नेता ने कहा, पीएम मोदी ने गन्ना मिलों को 4,500 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन का पैकेज दिया है ताकि सीधे गन्ने से इथेनॉल का उत्पादन किया जा सके.नतीजतन, अधिकांश चीनी मिलों ने इथेनॉल का निर्माण शुरू कर दिया है. चाहर ने कहा कि वर्तमान में पेट्रोल में 8 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जा रहा है. पीएम का संकल्प यह सुनिश्चित करना है कि यह आंकड़ा 2025 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल तक पहुंच जाए. उन्होंने कहा, इस तरह के लक्ष्य से गन्ना उत्पादक लाभप्रद स्थिति में होंगे. इससे पर्यावरण की रक्षा होगी और कच्चे पेट्रोलियम के आयात का बोझ भी कम होगा.
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चाहर ने आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान कई चीनी मिलों को या तो बंद कर दिया गया था या उनकी नीलामी कर दी गई थी क्योंकि वे घाटे में चल रही थीं. हालांकि, मोदी सरकार में कई मिलें फिर से खोली गई हैं, कुछ की क्षमता बढ़ाई गई है, नए स्थापित किए जा रहे हैं और एथेनॉल के नए संयंत्र भी आ रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने गन्ने के उत्पादन की लागत पर लगाम लगाने के लिए भी बड़े कदम उठाए हैं. उदाहरण के लिए, उसने यूरिया पर सब्सिडी को बढ़ाकर 1,200 रुपये नहीं किया है, जबकि इसकी कीमत 2,400 रुपये तक बढ़ गई है.
उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट 2006 में प्रस्तुत की गई थी, लेकिन ठंडे बस्ते में पड़ी थी. यह मोदी सरकार थी जिसने इसे लागू किया. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने बड़ी खरीदारी की है. धान हो, गेहूं हो, गन्ना हो, दलहन हो या तिलहन हो, उन्हें पिछली सरकारों की तुलना में कई गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया है. इसके अलावा, एमएसपी में भी डेढ़ गुना की वृद्धि की गई है.
Posted by : Achyut Kumar