UP चुनाव से पहले भाजपा की नजर ओबीसी वोट बैंक पर, जानें क्या है लव-कुश फॉर्मूला

यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. भाजपा की नजर ओबीसी वोट बैंक पर अपनी पकड़ को और मजबूत बनाने की है, जिसके लिए उसने नई रणनीति तैयार की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2021 9:47 PM

UP Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है. भाजपा ने 350 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उसने पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की रणनीति तैयार की है. भाजपा प्रदेश के सभी 75 जिलों में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सम्मेलन शुरू करने जा रही है, जिसकी जिम्मेदारी ओबीसी मोर्चा को दी गई है. भाजपा की कोशिश इस सम्मेलन के जरिए गैर-यादवों और ओबीसी समुदाय के विभिन्न वर्गों के मतदाताओं का समर्थन हासिल करना है.

केशव-स्वतंत्र को सौंपी गई जिम्मेदारी

ओबीसी सम्मेलन के जरिए भाजपा केंद्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों और पिछड़े वर्ग को संगठन में मिली भागीदारी के बारे में लोगों को बताएगी. यह सम्मेलन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की अगुवाई में आयोजित किए जाएंगे. ये दोनों ओबीसी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. स्वतंत्र देव सिंह जहां कुर्मी समुदाय से आते हैं, वहीं केशव प्रसाद मौर्य कुशवाहा समुदाय से आते हैं.

लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने किए थे ओबीसी सम्मेलन

बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने ओबीसी सम्मेलन किए थे. इनमें मौर्य, कुशवाहा, यादव, कुर्मी, निषाद और यादव समेत कई पिछड़ी जातियों को शामिल किया गया था. लगभग एक से डेढ़ महीने चले इस सम्मेलन का भाजपा को फायदा भी मिला था. इसलिए अब वह उसी फॉर्मूले पर चलने जा रही है.

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31 अगस्त से शुरू होंगे सम्मेलन

भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप के मुताबिक, पार्टी ने 32 टीमों का गठन किया है. ये टीमें सभी 75 जिलों में 6 क्षेत्रों में अभियान चलाएंगी. इसके माध्यम से लोगों को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसके लिए एक आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. पहली बैठक 31 अगस्त को मेरठ में होगी. इसके बाद 2 सितंबर को अयोध्या, 3 सितंबर को कानपुर, 4 सितंबर को मथुरा और 8 सितंबर को वाराणसी में होगी.

ओबीसी विधेयक के बारे में जनता को बताएगी भाजपा

नरेंद्र कश्यप के मुताबिक, भाजपा लोगों को संसद के मानसून सत्र में पारित हुए ओबीसी विधेयक के बारे में बताएगी, जो अब कानून का रूप ले चुका है. इस कानून से अब राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के उद्देश्य से अपनी ओबीसी सूची खुद बना सकते हैं. इसके अलावा, भाजपा मेडिकल शिक्षा में ओबीसी के लिए आरक्षण के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में समुदाय के 27 मंत्रियों को शामिल करने के बारे में भी लोगों को बताएगी. हाल ही में उत्तर प्रदेश के सात ओबीसी मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.

ओबीसी वोट बैंक पर क्यों है भाजपा की नजर?

दरअसल, उत्तर प्रदेश में कुल मतदाताओं के 50 प्रतिशत से अधिक ओबीसी मतदाता हैं. इनमें, गैर-यादव ओबीसी मतदाता लगभग 35 प्रतिशत है. ऐसे में भाजपा ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले से छिटकने नहीं देना चाहती. इसीलिए भाजपा ओबीसी मोर्चा ने राज्य भर में संगठनात्मक कार्यों की निगरानी के लिए तीन टीमों का गठन किया है.

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यह है लव-कुश फॉर्मूला

कोइरी समाज खुद को भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज होने का दावा करते हैं जबकि कुर्मी समुदाय खुद को कुश के भाई लव से अपने वंश होने का दावा करते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के एम-वाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण के जवाब में कुर्मी-कोइरी (लव-कुश) का जातीय फॉर्मूला बनाया था, जो राजनीतिक तौर पर काफी सफल हुआ था. इस फॉर्मूले को भाजपा ने यूपी में अपनाया और 15 वर्ष का सत्ता का वनवास खत्म किया. माना जा रहा है कि पार्टी एक बार फिर इस लव-कुश फॉर्मूले पर चलेगी.

Posted by: Achyut Kumar

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