बसपा के ब्राह्मण सम्मेलनों का 7 सितंबर को होगा समापन, मायावती करेंगी संबोधित, जानें आगे की रणनीति
बसपा के ब्राह्मण सम्मेलनों का समापन 7 सितंबर को लखनऊ में होगा. समापन सम्मेलन को पार्टी प्रमुख मायावती संबोधित करेंगी. इस दौरान सभी 75 जिलों के ब्राह्मण कोऑर्डिनेटर मौजूद होंगे.
UP Assembly Elections 2022: उउत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस दौरान जातिगत समीकरणों को भी साधने की कोशिश हो रही है. इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) ने 23 जुलाई को अयोध्या से ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin Sammelan) यानी प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी की शुरुआत की. अब तक यह सम्मेलन 60 से ज्यादा जिलों में हो चुका है. सभी सम्मेलन 4 सितंबर तक पूरे हो जाएंगे. समापन सम्मेलन 7 सितंबर को लखनऊ में होगा, जिसमें यूपी के सभी 75 जिलों के ब्राह्मण कोआर्डिनेटरों को बुलाया गया है.
मिशन 2022 का होगा शंखनाद
समापन सम्मेलन को बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती संबोधित करेंगी. कार्यक्रम मॉल एवेन्यू स्थित पार्टी मुख्यालय पर आयोजित किया जाएगा. बताया जा रहा कि इसी सम्मेलन से मायावती मिशन 2022 के लिए चुनावी शंखनाद करेंगी.
ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रही बसपा
दरअसल, बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मणों को साथ में लेकर सत्ता हासिल करने की कोशिश में लगी हुई है. बसपा का मानना है कि 2007 की तरह इस 2022 में भी सत्ता में वापसी की जा सकती है. इसी के चलते उसने प्रदेश के सभी जिलों में प्रबुद्घ वर्ग विचार गोष्ठी यानी ब्राह्मण सम्मेलन करने शुरू किए हैं. इसके लिए जिलों में ब्राह्मण समाज के बड़े नेताओं को भेजा जा रहा है, जो सम्मेलनों के माध्यम से ब्राह्मण समाज को बसपा की तरफ करने की कोशिश कर रहे हैं.
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दलित और ब्राह्मण उत्पीड़न बनेंगे बसपा के चुनावी हथियार
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बसपा दलित और ब्राह्मण उत्पीड़न को चुनावी हथियार बनाएगी. प्रबुद्ध विचार गोष्ठी के बाद इस एजेंडे को पार्टी धार देगी, जिसके तहत बसपा के सेक्टर प्रभारी घटना स्थल पर जाएंगे और पीड़ित परिवारों से मिल कर विरोध जताएंगे. साथ ही उनकी मदद भी करेंगे. इसके अलावा, बसपा अपने चुनावी सभाओं में यह भी बताएगी कि पिछले पांच सालों में कैसे दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमानों का उत्पीड़न किया गया है.
ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों का सबसे अधिक उत्पीड़न
बसपा के रणनीतिकारों का कहना है कि भाजपा सरकार में ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों का सबसे अधिक उत्पीड़न हुआ है, जिससे यह समाज अपने को पीड़ित महसूस कर रहा है. इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. बसपा ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ने का काम करेगी. उत्पीड़न का शिकार होने वाले लोगों के यहां बसपा के नेता जाएंगे और हर संभव मदद के साथ उन्हें न्याय दिलाने का काम करेंगे. इससे इन समुदायों का जुड़ाव बसपा के साथ होगा और विधानसभा चुनाव में इसका फायदा मिलेगा.
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Posted by : Achyut Kumar