UP Chunav 2022: यूपी में चुनावी रणभेरी बजी, 2022 में सत्ता पाने के लिए अंतिम जोर आजमाइश शुरू
भाजपा 300 प्लस का आंकड़ा फिर से पार करने की रणनीति पर कर रही काम, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 400 सीटें पाने का किया है ऐलान, कांग्रेस व बसपा के लिए वजूद बचाने की चुनौती
UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनावी रणभेरी बज गई है. भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस सहित सभी प्रमुख दल अब सत्ता पाने के लिए आखिरी जोर आजमाइश में लग गए हैं. भाजपा 300 का आंकड़ा फिर से पार करने की रणनीति पर काम कर रही है, तो समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव 400 सीटें पाने के लक्ष्य पर डटे हैं.
हालांकि उत्तर प्रदेश में हर दिन दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बीच सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़े तक पार्टियां कैसे पहुंचेंगी, यह देखना होगा. पार्टियों के तिकड़म पर चुनाव आयोग नजर रखेगा. आयोग 15 जनवरी तक पार्टियों के प्रचार की समीक्षा भी करेगा. चुनाव आयोग ने रैली, साइकिल-बाइक रैली, नुक्कड़ सभाओं पर रोक लगा दी है.
यूपी में 403 विधान सभा सीटें हैं. सन् 2017 विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इसमें से 325 सीटें जीती थी. अकेले भाजपा ने 312 सीटों पर विजय पाई थी. भाजपा के सहयोगी दल अनुप्रिया पटेल की अपना दल ने 9 और ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी ने 4 सीटें जीती थी.
2017 चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने ‘काम बोलता है’ के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश की थी. लेकिन काम बोलता है का नारा समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने में हिट नहीं हो सका था. मुजफ्फर नगर दंगा और कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा का हमला अखिलेश यादव को भारी पड़ गया था.
2017 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही सत्ताधारी समाजवादी पार्टी गठबंधन मात्र 54 सीटों पर सिमट कर रह गया था. यूपी की जनता को सपा और कांग्रेस का साथ पसंद नहीं आया था. उस दौरान समाजवादी वार्टी को 47 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को मात्र 7 सीटें मिली थी. जबकि बहुजन समाजवादी पार्टी को 19 सीटों पर सफलता मिली थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और बदहाल कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतरी भाजपा को उत्तर प्रदेश में 312 सीटें मिली थी. यही नहीं सहयोगी पार्टियों का भी विधान सभा चुनाव में खाता खुल गया था. मोदी लहर पर सवार भाजपा के धुआंधार प्रदर्शन का नतीजा था कि अन्य विपक्षी पार्टियां तीन अंकों में भी नहीं पहुंच पाई थी.
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यूपी 2017 विधान सभा चुनाव की एक खासबात यह भी रही थी कि पाटिर्यों के बीच वोट शेयरके आंकड़े भी रोचक रहे थे. उस चुनाव में सबसे अधिक 40.6 प्रतिशत वोट शेयर भाजपा का था. सीटों के मामले में तीसरे नंबर रही बसपा को 22.3 प्रतिशत वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस व बसपा अपना वजूद बनाने की चुनौती से जूझ रहे हैं.
वहीं 47 सीट पाकर दूसरे नंबर की पार्टी रही सपा को 21.7 प्रतिशत वोट मिले थे. कांग्रेस 6.2 प्रतिशत के साथ चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई थी. 2022 विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने छोटे दलों को लेकर यूपी की सत्ता पाने का रोड मैप तैयार किया है तो कांग्रेस प्रियंका गांधी के सहारे अपनी स्थित को सुधारने की कोशिश में है.