Aligarh News: अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा से शुरू हुई कल्याण सिंह की राजनीतिक यात्रा का रिकॉर्ड शायद ही कोई तोड़ पाए. स्वर्गीय कल्याण सिंह ने आरएसएस से शुरूआत कर एमएलए, एमपी, सीएम, गवर्नर तक के पद को सुशोभित किया. भाजपा में संगठनात्मक पद पर भी क्रियाशीलता दिखाई. आइए जानते हैं उनके विधायक से गर्वनर बनने तक के सफर के बारे में…
यह दौर था 1967 का जब कल्याण सिंह ने अतरौली विधानसभा से भारतीय जनसंघ की टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने. कल्याण सिंह उस समय साइकिल पर चुनाव प्रचार करते थे. साइकिल पर भोंपू लटकाकर गांव-गांव पर्चे बांटते थे. उनके समर्थक भी उनके साथ साइकिल पर चुनाव प्रचार करते नजर आते थे. तब बैलगाड़ी से भी प्रचार हुआ करता था.
कल्याण सिंह अतरौली विधानसभा सीट से 10 बार विधायक निर्वाचित हुए थे. 1967, 1969, 1974 में कल्याण सिंह जनसंघ से विधायक रहे. 1977 में कल्याण सिंह जनता पार्टी से जीते, लेकिन 1980 में कांग्रेस के अनवर खान से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. इस हार के बाद फिर लगातार पांच चुनाव 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में एमएलए बने. 2002 में कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ने के बाद अपनी पार्टी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई. इसके बाद वह अपनी पार्टी से विधायक बने.
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह एटा से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए. जिससे अतरौली में उपचुनाव हुए, जिसमें कल्याण सिंह की पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा विधायक बनीं. 2007 में प्रेमलता वर्मा बीजेपी के टिकट पर फिर से विधानसभा पहुंची, लेकिन 2012 में सपा के वीरेश यादव ने प्रेमलता वर्मा को हरा दिया. इसी दौरान कल्याण सिंह 2 बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. तदोपरांत वे राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे. 21 अगस्त 2021 को कल्याण सिंह का निधन हो गया.
अतरौली विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में कल्याण सिंह के नाती संदीप सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया. संदीप सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के वीरेश यादव को 50 हजार वोट से अधिक के अंतर से हराया. पहली बार विधानसभा पहुंचे संदीप सूबे की सरकार में मंत्री भी बने. कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह राजू भैया एटा से सांसद हैं.
रिपोर्ट- चमन शर्मा (अलीगढ़)