उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री (Uttar Pradesh Dy CM) और बीजेपी नेता (BJP Leader) केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) की कथित फर्जी डिग्री (Fake Degree) मामले में प्रयागराज की एसीजेएम-17 कोर्ट ने बुधवार को कैंट थाना को प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया. बीते 6 अगस्त को इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी के अधिवक्ता उमा शंकर चतुर्वेदी ने बताया कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने कैंट थाना प्रभारी को इस मामले की प्राथमिक जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में पेश करने को कहा है, इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सूचनाधिकार कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने केशव प्रसाद मौर्य के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराये जाने के लिए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह की अदालत में अर्जी दी है. यह अर्जी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत दायर की गई है. कोर्ट ने दिवाकर नाथ त्रिपाठी के अधिवक्ता उमाशंकर चतुर्वेदी की दलीलें सुनकर आदेश सुरक्षित कर लिया था.
रिपोर्ट्स की मानें, तो आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा गया है कि वर्ष 2007 में शहर के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से केशव प्रसाद मौर्य ने विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसके बाद कई बार चुनाव लड़े. उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा जारी प्रथम, द्वितीया आदि की डिग्री लगायी है, जो प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है. यही नहीं, इन्हीं डिग्रियों के आधार पर उन्होंने इंडियन ऑयल काॅरपोरेशन से पेट्रोल पंप भी हासिल किया है.
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