UP Chunav: पूर्वांचल में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कितने बदले समीकरण, SP में सेंध या BJP में विस्फोट?
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों की घोषणा करने के साथ ही इस चुनाव को और रोचक बना दिया था. पूर्वांचल में ओवैसी की इस एंट्री ने सबको पसोपेश में डाल दिया है. आइए जानते हैं पूर्वांचल में ओवैसी की एंट्री से क्या बन रहे हैं समीकरण?
Owaisi In Purvanchal: पूर्वांचल में छठे और सातवें चरण के चुनाव का शोर अब चरम पर है. छठे चरण का मतदान गुरुवार 3 मार्च को हो रहा है. वहीं, सातवें चरण का मतदान 7 मार्च को आयोजित किया जाएगा. यह चुनाव यूं तो सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है. मगर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों की घोषणा करने के साथ ही इस चुनाव को और रोचक बना दिया था. पूर्वांचल में ओवैसी की इस एंट्री ने सबको पसोपेश में डाल दिया है.
गाजीपुर में रोमांचक मुकाबला
AIMIM ने सातवें चरण के चुनाव के तहत गाजीपुर की जहूराबाद सीट से शौकत अली को उम्मीदवार घोषित किया है. इस सीट से वर्तमान में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर विधायक हैं. इसके साथ ही वह इस बार भी जहूराबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, बसपा ने भी इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेला है. बसपा ने सैयदा शादाब फातिमा को प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा ने जहूराबाद विधानसभा सीट पर कालीचरण राजभर पर दांव खेला है. वे सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. इससे इतर कालीचरण राजभर जहूराबाद से बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं.
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किसे कहां से मिला टिकट
AIMIM ने आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से शाह आलम तो सगड़ी से निसार अहमद को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, वाराणसी नॉर्थ से हरीश शर्मा, वाराणसी साउथ से परवेज कादिर खान, जौनपुर की शाहगंज सीट से एडवोकेट नायब अहमद और मुनर्गा बादशाहपुर से रमजान अली को टिकट दिया है. गाजीपुर की जहूराबाद सीट से शौकत अली, चंदौली की मुगलसराय सीट से आबिद अली, मिर्जापुर से बदरुद्दीन हाशमी और बलिया की सदर सीट से मोहम्मद शमीम खान को चुनावी मैदान में उतारा गया है. एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन आवैसी ने बुधवार को पवई और मुबारकपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए विरोधी दल के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया.
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भाजपा के लिए कितनी दिक्कत बनेंगे ओवैसी?
ओवैसी ने बाबू सिंह कुशवाहा के साथ हाथ मिलाकर भागीदारी परिर्तन मोर्चा गठबंधन का ऐलान करते हुए पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा संदेश पहले ही दे दिया है. यह समीकरण बीजेपी के लिए मुश्किलों का सबब बन सकता है. कुशवाहा समाज अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आता है्. पूर्वांचल में इनके ठीकठाक वोटर भी हैं. उधर, सपा के टिकट पर कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ रहे स्वामी प्रसाद मौर्य भी ओबीसी की राजनीति करके बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में हैं.
पूर्वांचल में ओवैसी से किसे दिक्कत?
ओवैसी को यदि मुस्लिम के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर साथ दे देंगे तो वह सपा के लिए दिक्कत बन सकते हैं. कारण, बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टियों को पूर्वांचल की सीटों पर मौका दिया है. इसके तहत भाजपा से गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ रहे सभी कैंडिडेट्स अपना दल (एस) और निषाद पार्टी ने उतारे हैं. सभी ओबीसी से ताल्लुक रखते हैं. ओबीसी में निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, भार धीवर, बाथम, मचुआ, प्रजापति, राजभर, कहार, कुंहार, धीमर, मांझी, तुहा और गौर जातियां आती हैं. ऐसे में अगर भागीदारी परिवर्तन मोर्चा वोट काटता है तो उसका फायदा बीजेपी को होगाक्योंकि इन जातियों का वोट एक पार्टी में न जाकर कई जगह बंट जाएगा. वहीं, मुस्लिम वोटर भी बंटेगा, जबकि बीजेपी का वोट बैंकयानी सवर्ण है. वह एक ही जगह जाता है. ऐसे में कहीं न कहीं नुकसान सपा को होता दिखाई दे रहा है.