बलिया जिले की सभी 7 विधानसभा सीटों पर आज 3 फरवरी को मतदान संपन्न हो गया है. शाम पांच बजे तक बलिया जिले में 51.81 प्रतिशत मतदान हुआ है.
Voting underway in Ballia in the sixth phase of Uttar Pradesh Assembly elections#UttarPradeshElections2022 pic.twitter.com/42F8tBjMnc
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 3, 2022
UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में बलिया की बगावत काफी चर्चा में रहती है. यहां के राजनीतिक समीकरण भी काफी रोचक होते हैं. यह जिला पूर्वी छोर का सबसे अंतिम जनपद है. देश को चंद्रशेखर जैसा प्रधानमंत्री देने वाले बलिया का सियासी मिजाज बड़ा उतार-चढ़ाव वाला है. सात चरणों में हो रहे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के छठे चरण में बलिया भी शामिल है.
इस बार बलिया नगर काफी वीआईपी हो चुकी है. कारण, भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को यहां से टिकट दिया है. उनकी पत्नी स्वाति सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. हालांकि, लखनऊ के सरोजिनी नगर से उनका टिकट कट चुका है. वहीं, सपा ने पूर्व मंत्री नारद राय, बसपा ने शिवदास वर्मा मदन व कांग्रेस ने ओमप्रकाश तिवारी को उतारा है. वीआईपी ने भाजपा के बागी जितेंद्र तिवारी को टिकट दिया है. आप से अजय राय उम्मीदवार हैं. यहां ब्राह्मणों की संख्या ज्यादा है.
मौजूदा विधायक सुरेन्द्र सिंह की जगह भाजपा ने यहां से बलिया नगर के विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल को टिकट दिया है. सपा ने फिर पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल को टिकट दिया है. बसपा ने सपा के बागी सुभाष यादव और कांग्रेस ने सोनम बिंद को उतारा है. वीआईपी ने भाजपा के बागी विधायक सुरेंद्र सिंह को उतारा है.
एकमात्र सुरक्षित सीट से मौजूदा विधायक धनंजय कन्नौजिया का टिकट काटकर भाजपा ने बसपा से आए छट्ठू राम को मैदान में उतारा है. बसपा ने भाजपा से आए प्रवीण प्रकाश को टिकट दिया है. सपा की सहयोगी सुभासपा ने गोरखपुर जिले के निवासी हंसु राम को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी गीता गोयल पर दांव लगाया है. इंटर कालेज के प्रबंधक अनूप हेमकर और बिन्नू वर्मा सपा-भाजपा में भितरघात की आशंका जता रहे हैं. अनूप कहते हैं, राजभर मत निर्णायक हो सकते हैं.
इस सीट से लगातार दूसरी बार विधायक उमाशंकर सिंह को बसपा ने फिर उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने बसपा-कांग्रेस से होते हुए पार्टी में आए पूर्व सांसद बब्बन सिंह को टिकट दिया है. सपा से महेन्द्र चौहान मैदान में हैं, कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी ओमलता पर दांव लगाया है. व्यापारी श्याम कृष्ण गोयल का मानना है कि विधायक की छवि व विकास बड़ा मुद्दा है. दूसरी ओर सपा-सुभासपा गठबंधन की नजर जातीय गोलबंदी पर है.
नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी एक बार फिर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बड़ी बात तो यह है कि भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने केतकी सिंह पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने पूर्व मंत्री बच्चा पाठक के पौत्र पुनीत पाठक व बसपा से मानती राजभर को प्रत्याशी बनाया है. भाजपा के बागी अजय शंकर पांडे कनक को वीआईपी ने टिकट दिया है. आप से सुशांत पाठक मैदान में हैं. यहां के चुनाव में राजभर व निषादों का वोट चुनाव का फैसला करने में कारगर माना जाता है.
भाजपा ने दूसरी बार यहां से विधायक उपेंद्र तिवारी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, सपा ने पूर्व विधायक संग्राम सिंह यादव, बसपा ने कमलदेव सिंह यादव और कांग्रेस ने जैनेंद्र पांडे मिंटू को मौका दिया है. वीआईपी ने विवेक सिंह कौशिक व जदयू ने भाजपा के बागी अवलेश सिंह को टिकट दिया है. यहां ओबीसी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है.
भाजपा ने मौजूदा विधायक संजय यादव को दोबारा टिकट दिया है. सपा ने पूर्व मंत्री मो. रिजवी, बसपा ने संजीव वर्मा व कांग्रेस ने बृजेश सिंह गाट को प्रत्याशी बनाया है. आप के जिलाध्यक्ष डॉ. प्रदीप भी उम्मीदवार हैं जबकि वीआईपी ने भाग्यमनी को मौका दिया है. यहां सवर्ण मतों की अधिकता कही जाती है.