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UP Election 2022: सीट बंटवारे पर फंसा कृष्णा पटेल के अपना दल और सपा में पेंच, किसके दखल से सुलझेगा मामला?

शनिवार की शाम को सपा की तरफ से बातचीत के लिए अधिकृत एमएलसी ठाकुर उदयवीर सिंह और अद (कमेरावादी) के राष्ट्रीय महासचिव पंकज निरंजन के बीच सीट के बंटवारे पर बैठक की गई थी. इसमें सपा नेता सीट बंटवारे को लेकर पहले जो बात हुई थी, उससे पीछे हट गए हैं.

Lucknow News: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के महागठबंधन में कुछ दरार सी आई है. सपा और कृष्णा पटेल की अपना दल (कमेरावादी) के बीच कुछ विवाद हो गया है. सीट बंटवारे को लेकर शनिवार को हुई चर्चा भी बेनतीजा रही.

दोनों दलों में क्यों पड़ रही दरार?

इस संबंध में अपना दल (कमेरावादी) के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता गगन प्रकाश यादव ने मीडिया को बताया है कि शनिवार की शाम को सपा की तरफ से बातचीत के लिए अधिकृत एमएलसी ठाकुर उदयवीर सिंह और अद (कमेरावादी) के राष्ट्रीय महासचिव पंकज निरंजन के बीच सीट के बंटवारे पर बैठक की गई थी. इसमें सपा नेता सीट बंटवारे को लेकर पहले जो बात हुई थी, उससे पीछे हट गए हैं. अब अपना दल (कमेरावादी) को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के हस्तक्षेप का इंतजार है.

कुर्मी मतदाताओं से बड़ी आस

बता दें कि कुछ दिन पहले सपा की ओर से जारी की गई प्रत्याशियों की सूची में प्रयागराज (पश्चिम) से प्रत्याशी की घोषणा कर देने से दोनों दलों के बीच में रार शुरू हुआ है. अद (कमेरावादी) ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए सपा द्वारा दी गई सभी सीटों को वापस करने की बात कही थी. दरअसल, अद (कमेरावादी) की पकड़ पूर्वांचल और बुंदेलखंड में है. वाराणसी और प्रयागराज मंडल में पार्टी मजबूत मानी जाती है. ऐसी स्थिति में गठबंधन टूटने की स्थिति में इन क्षेत्रों में सपा को कुर्मी मतों को अपने साथ जोड़े रखने में दिक्कतें आ सकती हैं. जो कि सपा के लिए ठीक नहीं है.

इन जिलों में अपना दल देगी दिक्कत

29 जनवरी को अद (कमेरावादी) ने प्रेसवार्ता कर गठबंधन के तहत सात सीट मिलने और कुछ अन्य सीट के बाद में मिलने की जानकारी दी थी. इन सात सीटों में वाराणसी जिले की पिंडरा और रोहनिया, जौनपुर जिले की मड़ियाहूं, मिर्जापुर जिले की मड़िहान, सोनभद्र जिले की घोरावल, प्रतापगढ़ जिले की सदर सीट तथा प्रयागराज जिले की शहर पश्चिम सीट शामिल थी.

ढीली न पड़ जाए गठबंधन की गांठ

खैर, बड़ी बात यह है कि सपा ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कुछ नए प्रयोग किए हैं. इनमें सबसे बड़ा प्रयोग है छोटे-छोटे दलों को मिलाकर महागठबंधन का ऐलान करना. मगर इन दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर सपा प्रमुख को पशोपेश का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यदि किसी बात पर गठबंधन की गांठ जरा भी ढीली हुई तो सपा को नुकसान होने का खतरा होगा.

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