UP Chunav: छठे चरण के चुनाव में भाजपा के लिए करो या मरो जैसे हालात, सीएम योगी के सामने चुनौतियों का अंबार
अब तक 403 विधानसभा सीट में से अब तक 292 विधानसभा सीट पर चुनाव सम्पन्न हो चुका है. अब मात्र 111 निर्वाचन क्षेत्रों में ही मतदान होना शेष है. इसके तहत छठे चरण में 57 और सातवें चरण में 54 विधानसभा सीट पर चुनाव हो रहा है.
Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का रण अब अंतिम कगार पर है. 3 मार्च को होने वाले छठे चरण और और उसके बाद के सातवें चरण के चुनाव के बाद परिणामों का बेकरारी से इंतजार शुरू हो जाएगा. अब तक 403 विधानसभा सीट में से अब तक 292 विधानसभा सीट पर चुनाव सम्पन्न हो चुका है. अब मात्र 111 निर्वाचन क्षेत्रों में ही मतदान होना शेष है. इसके तहत छठे चरण में 57 और सातवें चरण में 54 विधानसभा सीट पर चुनाव होना है.
सीएम योगी के सामने कई हैं चुनौती
छठे चरण में 10 जिलों की 57 विधानसभा सीटों का चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में होने जा रहा है. पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी मुश्किल को बढ़ाने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने गोरखपुर शहरी सीट से भाजपा नेता स्व. उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ल को मैदान में उतारा है. यही नहीं बसपा के ख्वाजा शमशुद्दीन, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद भी ताल ठोंक रहे हैं. कांग्रेस की चेतना पांडे भी सीएम योगी आदित्यनाथ का वोट काटने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं.
तीन दर्जन सीट पर योगी की प्रतिष्ठा दांव पर
खास बात तो यह है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के लिए भी गोरखपुर अहम है. बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, अंबेडकरनगर, देवरिया में से तीन दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर मानी जा रही है. भाजपा से बागवत करके समाजवादी पार्टी (सपा) में आए स्वामी प्रसाद मौर्य भी कुशीनगर की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य को काफी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
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क्या कहता है गोरखपुर का जातीय समीकरण?
गोरखपुर ब्राह्मण बहुल सीट है. शहरी सीट पर 60-65 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. मुख्यमंत्री को जिस जाति (क्षत्रिय) से राजनीतिक रूप से टैग किया जा रहा है, उसके मतदाताओं की संख्या 28-35 हजार है. वैश्य समाज ठीक-ठाक संख्या में हैं. मगर लगातार कई बार के विधायक राधामोहन दास अग्रवाल का टिकट कटने, से सीएम योगी को भीतरघात भी लग सकता है.
2017 में क्या थे विधानसभा चुनाव के परिणाम?
छठे चरण के चुनाव में यूपी के पूर्वांचल के 10 जिलों बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अंबेडकरनगर, देवरिया और बलिया में मतदान होना है. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 384 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इसमें से उसे 312 सीट पर जीत मिली थी. वहीं, 72 सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. अपना दल (सोनेलाल) को 11 सीट दी गई थीं. इसमें से उसे 9 पर जीत मिली थी जबकि दो में हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को आठ सीटें दी गई थी, जिसमें से उसे 4 सीट पर जीत मिली थी. इनमें से छठे चरण वाली सीटों पर 2017 में अंबेडकरनगर छोड़कर बाकी जिलों में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा था. 2017 में इन 57 सीटों में से बीजेपी ने 46 सीटें आईं थीं जबकि सपा को 2, बसपा को 5 सीटें और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी. वहीं, बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) को 1 और सुभासपा को सीट मिली थी जबकि एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी.
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2022 की तैयारी में बीजेपी ने क्या किया?
बीजेपी को 2017 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार मिली थी, उनमें से अधिकांश सीटें पूर्वांचल की थीं. इसको देखते हुए बीजेपी सरकार ने यहां पर अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कई विकास योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. लोगों के लिए कई योजनाओं को शुरू किया गया. इसके अलावा, बीजेपी ने अपनी जनविश्वास यात्राओं को भी इन सीटों से होकर गुजारा. जातिगत समीकरणों पर भी पार्टी ने ध्यान रखा है. ऐसे उम्मीदवारों को ही टिकट दिया गया है, जो जीत दर्ज करने में समर्थ हैं.