UP Election 2022: आपके नाम से कोई और वोट डाल दे तो भी आप कर सकते हैं मतदान, बने हैं तीन तरह के प्रावधान
सैनिक और अर्धसैनिक बल में तैनात जवान जो अपने क्षेत्र से चुनाव के दिन बाहर रहते हैं, वे अपने परिवार के किसी भी सदस्य को लिखित रूप से वोट डालने के लिए नॉमिनेट कर सकते हैं. इसको प्रॉक्सी वोट का अधिकार कहा जाता है.
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में विधानसभा चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं. पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को हो चुका है. वहीं, दूसरे चरण का मतदान सोमवार को है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यदि एजेंट आपकी पहचान पर सवाल खड़े कर दे तो आप किस तरीके से चैलेंज वोट डाल सकते हैं. सामान्य मतदान के अलावा तीन और तरह के वोट का प्रावधान है.
हर समस्या के लिए वोट डालने की अलग सुविधा
बता दें कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए सामान्य मतदान के अलावा वोट देने के लिए तीन तरह के ऑप्शन दिए गए हैं. इसके तहत वोट देने की अपील, टेंडर वोट और चैलेंज वोट का अधिकार सभी मतदाताओं को प्रदान किया गया है. मतदान के दौरान कई बार देखा जाता है कि किसी मतदाता के नाम पर कोई और वोट कर देता है. ऐसे मामलों में संबंधित मतदाता अपना मतदान देने से रह जाता है. ऐसे मामले में टेंडर वोट के तहत मताधिकार का प्रयोग किया जा सकता है. मतदान के दौरान ही बूथ पर एजेंट या कोई और दूसरा व्यक्ति कई बार पहचान पर सवाल खड़े कर देता है. वह मतदाता को बाहरी बताकर वोट देने से मना कर देता है. ऐसे मतदाता चैलेंज वोट का उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा सैनिक और अर्धसैनिक बल में तैनात जवान जो अपने क्षेत्र से चुनाव के दिन बाहर रहते हैं, वे अपने परिवार के किसी भी सदस्य को लिखित रूप से वोट डालने के लिए नॉमिनेट कर सकते हैं. इसको प्रॉक्सी वोट का अधिकार कहा जाता है.
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टेंडर वोट किसे कहते हैं?
जब कोई मतदाता बूथ पर अपना वोट डालने जाता है तो पता चलता है कि उसके पहले ही कोई और उसके नाम से वोट डाल चुका होता है. ऐसे में मतदाता सूची में नाम शामिल होने की स्थिति में पीठासीन अधिकारी उससे एक फॉर्म भरवाता है. उसके बाद मतपत्र को लिफाफे में बंद कर देता है. मतगणना के समय कम वोट के अंतर से जीत-हार की स्थिति में ऐसे वोट की गणना की जाती है. इसी को टेंडर वोट कहा जाता है.
चैलेंज वोट किसे कहते हैं?
यदि कोई वोटर बूथ पर मतदान करने पहुंचता है और बूथ का एजेंट या कोई दूसरा व्यक्ति उसके पहचान पर सवाल खड़े कर देता है. वह उसे बाहरी व्यक्ति बताकर वोट डालने से मना करता है तो उस परिस्थिति में वोटर उसको चैलेंज कर सकता है. इस स्थिति में खुद को सही साबित करने के लिए उसे पीठासीन अधिकारी से शिकायत करनी होगी. पीठासीन अधिकारी उससे दो रुपए फीस के रूप में जमा कराएगा. उसके बाद पीठासीन अधिकारी अपने स्तर से मामले की जांच करता है. यदि मामला की जांच चैलेंज करने वाले के पक्ष में जाता है तो वह वोट कर सकता है. यदि जांच करने पर मामला झूठा निकलता है तो फर्जी मतदान करने के प्रयास में चैलेंज करने वाले व्यक्ति पर पुलिसिया कार्रवाई की जाती है.
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प्रॉक्सी वोट किसे कहते हैं?
सबसे अहम है प्रॉक्सी वोट. यह ऑप्शन सर्विस मतदाताओं के लिए बना हुआ है, जो चुनाव के दिन अपने क्षेत्र से बाहर नौकरी पर रहते हैं. इस परिस्थिति में वे परिवार के किसी भी सदस्य को अपने बदले वोट डालने के लिए लिखित रूप से नॉमिनेट कर सकते हैं. पीठासीन अधिकारी उस नॉमिनेशन लेटर को जांच करने के बाद नामित व्यक्ति के हाथों उस व्यक्ति का वोट डलवा सकता है. ऐसे मतदाता की दो अंगुलियों में स्याही लगाई जाती है. प्रॉक्सी वोट की पहचान के लिए मध्य अंगुली में जबकि उसके खुद के वोट के लिए तर्जनी अंगुली में स्याही लगाई जाती है. इसके अलावा सर्विस वोटर को पोस्टल बैलट का भी विकल्प दिया गया है.