UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी सियासी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं. आज हम आपको ऐसी सीट के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जो भी उम्मीदवार जीता, राज्य में उसी की पार्टी की सरकार बनती है. यह सीट पीलीभीत जिले में भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है. इसे मिनी पंजाब भी कहा जाता है क्योंकि यहां पंजाब से आए लोगों की काफी संख्या है. ये देश का विभाजन होने के बाद यहीं पर आकर बस गए.
पूरनपुर विधानसभा शारदा नदी के किनारे बसा हुआ है. यह गोमती नदी के उदगम स्थल के रूप में भी जाना जाता है. यह विधानसभा लखीमपुर खीरी और शाहजहांपुर जिले की सीमा से जुड़ी हुई है. यह पीलीभीत जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर जबकि लखनऊ से करीब 250 किलोमीटर दूर है.
पूरनपुर विधानसभा के बारे में कहा जाता है कि यहां की जनता जिसे विधायक चुनती है, राज्य में उसी की सरकार बनती है. ऐसा पिछले तीन विधानसभा चुनावों में देखने को मिला है. साल 2017 में बसपा के उम्मीदवार अरशद खां यहां से जीते थे और मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं. 2012 में यह सीट आरक्षित हो गई और सपा उम्मीदवार पीतमराम विजयी हुए. राज्य में सपा की सरकार बनी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. वहीं 2017 में भाजपा के पीतमराम ने यहां से जीत दर्ज की, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री बने.
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कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार मोहन लाल आचार्य 1962 में पूरनपुर के पहले विधायक निर्वाचित हुए. वे 1967 में दोबारा चुने गए. मोहन लाल आचार्य के बाद भारतीय क्रांति दल के हरनारायण सक्सेना 1969 से 1974 तक विधायक रहे. उनके बाद 1974 में भारतीय जन संघ के हरीश चंद्र (हरिबाबू), 1977 में JNP के बाबू राम, 1980 में डॉ. विनोद तिवारी विधायक निर्वाचित हुए. डॉ. विनोद तिवारी 1985 में दोबारा चुने गए.
डॉ. विनोद तिवारी के बाद 1989 में जनता दल से हरनारायण दूसरी बार विधायक बने. उनके बाद 1991 में भाजपा के उम्मीदवार प्रमोद कुमार (मुन्नू), 1993 में जनता दल से मेनका गांधी के भाई वीएम सिंह, 1996 में सपा के गोपाल कृष्ण और 2002 में डॉ. विनोद तिवारी तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद 2007 में बसपा से अरशद खान, 2012 में सपा से पीतमराम और 2017 में भाजपा से बाबूराम विधायक बने. 2012 से पूरनपुर सीट आरक्षित है.
पूरनपुर विधानसभा में पिछड़े समाज और अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है. यहां ब्राह्मण, पासी, किसान लोध, मुस्लिम, सिख, जाटव, यादव और अन्य जातियां भी काफी तदाद में रहती हैं. खास बात यहा है कि यहां की जनता का मूड बदलता रहता है. कभी वह सपा को जिताती है, कभी बसपा को तो कभी भाजपा को.
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बाबूराम पासवान को 52.54 प्रतिशत यानी 1 लाख 28 हजार 493 वोट मिले थे. वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं. उनकी पासी समाज में अच्छी पकड़ है. वहीं सपा उम्मीदवार पीतमराम को 89 हजार 251 यानी 36.49 प्रतिशत वोट मिला. वे दूसरे स्थान पर रहे. तीसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी केके अरविंद रहे. उन्हें 20,139 वोट मिला. कोरोना काल में उनका निधन हो गया.
बता दें , पूरनपुर विधासनभा सीट पर इस समय बसपा और कांग्रेस हाशिये पर है. इन दोनों पार्टियों का कोई भी नेता जनता के बीच नजर नहीं आ रहा है. यहां मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है.
Posted by : Achyut Kumar