UP Election 2022: मुलायम सिंह के करीबी पर अखिलेश यादव को भरोसा, किरणमय को सौंपी अहम जिम्मेदारी

रुहेलखंड के 205 टिकट दावेदारों की ताकत परखने और संगठन की समीक्षा शुरू होने वाली है. इसका जिम्मा सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा को दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 24, 2021 1:38 PM
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अगले साल हैं. इसको लेकर सियासी दलों में सरगर्मी बढ़ गई है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों की ताकत परखने का फैसला लिया है. यह सबसे पहले रुहेलखंड से शुरू होगा. रुहेलखंड के 205 टिकट दावेदारों की ताकत परखने और संगठन की समीक्षा शुरू होने वाली है. इसका जिम्मा सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद किरणमय नंदा को दिया है.

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राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का काफिला लखनऊ से रविवार को निकल गया है. वो दो दिन लखीमपुर खीरी में रहेंगे. खीरी में पार्टी दावेदारों की ताकत परखने के साथ ही मृतक किसानों के परिवारों से भी मिलने का कार्यक्रम संगठन की तरफ से बताया गया है. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लखीमपुर खीरी में रात्रि विश्राम करने के बाद 25 की सुबह पीलीभीत पहुंचेंगे. पीलीभीत में संगठन की समीक्षा करके दावेदारों से बात करेंगे. यहां से उनका काफिला मंगलवार को बरेली पहुंचेगा. किरणमय नंदा के आगमन को लेकर तैयारियां जारी है.

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 26 अक्टूबर को बरेली में सभी नौ विधानसभाओं के दावेदारों से बातचीत करके चुनावी तैयारियां का आंकलन करेंगे. साथ ही संगठन की भी समीक्षा होगी. वो बरेली में दो दिन रूकेंगे. बरेली से 28 को बदायूं जाएंगे. बदायूं में पार्टी कार्यक्रम होंगे. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष 30 और 31 अक्टूबर को शाहजहांपुर में प्रत्याशियों से बात कर समीक्षा करेंगे. यहां से दस दिन बाद एक नवंबर को लखनऊ के लिए वापसी करेंगे. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के कार्यक्रम को लेकर रुहेलखंड के सपा नेता तैयारियों में जुटे हैं.

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बंगाली में समझेंगे हिंदी दावेदारों की ताकत

सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा बंगाल से हैं. वो सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी हैं. वो पार्टी की स्थापना से ही जुड़े हुए हैं. उन्हें पार्टी कई बार राज्यसभा भेज चुकी है. पश्चिम बंगाल से होने के कारण उन्हें हिंदी बोलने और समझने में काफी दिक्कत आती है. वो बंगाली भाषा में ही बोलते हैं. मगर, पार्टी ने उन्हें रुहेलखंड के हिंदी भाषी दावेदारों और संगठन की समीक्षा का जिम्मा दिया है.

(रिपोर्ट:- मुहम्मद साजिद, बरेली)

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