4th Phase Election UP: उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में तीन चरणों का मतदान हो चुका है. चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी बुधवार को है. यूपी की राजधानी लखनऊ सहित 9 जिलों की 59 विधानसभा सीट पर मतदान होना है. इसके लिए सारी तैयारी भी हो चुकी है. मगर इनमें से कई सीट वीआईपी हैं. सभी विधानसभा सीट पर राजनीतिक समीकरण भी चरम पर हैं. कुछ सीट पर राजनीतिक दलों के वजूद और वर्चस्व की लड़ाई बनी है. इन पर दिग्गजों की साख दांव पर है. पेश है एक खास रिपोर्ट…
उत्तर प्रदेश की राजधानी की 9 विधानसभा सीट में से एक लखनऊ कैंट से भाजपा के कमल निशान पर मैदान में उतरे ब्रजेश पाठक का नाम काफी चर्चा में है. योगी सरकार में कानून मंत्री का पदभार संभाल रहे ब्रजेश पाठक कैंट से जनता का समर्थन पाने के लिए काफी मशक्कत भी कर रहे हैं. इस सीट पर 3,65,241 मतदाता हैं. वीआईपी सीट में शुमार लखनऊ कैंट में साल 2017 में 50.89 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2022 के रण में इस सीट पर 11 प्रत्याशी मैदान में उतरे हुए हैं. यहां से सपा ने राजू गांधी, बसपा से अनिल पांडेय और कांग्रेस से दिलप्रीत सिंह मैदान में हैं. वर्तमान में साल 2017 में लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र में कुल 368311 मतदाता थे. कुल वैध मतों की संख्या 187433 थी. भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार डॉ. रीता बहुगुणा जोशी इस सीट से जीतने के बाद विधायक बनी थीं. उन्हें कुल 95402 वोट मिले थे. वहीं, स०माजवादी पार्टी उम्मीदवार अपर्णा यादव कुल 61606 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रही थीं. वह 33796 मतों से हार गईं.
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चौथे चरण में बड़े चेहरों में शुमार आशुतोष टंडन लखनऊ पूर्व की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीअ पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं. यहां से योगी सरकार के मंत्री आशुतोष टंडन चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि तीन दशकों से अधिक समय से लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. इस सीट पर 4,51,408 मतदाता हैं. 2017 में यहां 53.17 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस सीट पर 14 उम्मीदवार दावेदारी कर कर रहे हैं. सपा से प्रवक्ता अनुराग सिंह, बसपा से आशीष और कांगेस से मनोज तिवारी मैदान में उतरे हुए हैं. साल 2017 में लखनऊ पूर्व विधानसभा क्षेत्र में कुल 422793 मतदाता थे. कुल वैध मतों की संख्या 228115 थी. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आशुतोष टंडन ‘गोपाल जी’ इस सीट से जीते और विधायक बने. उन्हें कुल 135167 वोट मिले. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार अनुराग सिंह कुल 55937 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वे 79230 मतों से हार गए थे.
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा ही रसूख का सवाल बनने वाली सरोजनीनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे राजेश्वर सिंह को भाजपा ने अपना सिंबल दिया है. वे ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर के पद को छोड़कर माननीय बनने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं. इस विधानसभा सीट से 5,57,376 मतदाता हैं. साल 2017 में इस सीट पर 58.34 फीसदी मतदान हुआ था. 14 प्रत्याशी नामांकन किए हुए हैं. सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री अभिषेक मिश्र, बसपा ने जलीश खान और कांग्रेस ने रूद्रदमन सिंह बबलू को मैदान में उतारा है. साल 2017 में सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र में कुल 498573 मतदाता थे. कुल वैध मतों की संख्या 290847 थी. इस सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार स्वाति सिंह जीती और विधायक बनीं. उन्हें कुल 108506 वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अनुराग उर्फ अनुराग यादव कुल 74327 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें 34179 मतों से हार का सामना करना पड़ा.
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अभिषेक मिश्र लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट से मैदान में उतरे हुए हैं. वे सपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. हालांकि, सरोजनीनगर से चुनाव लड़ने को लेकर उनके सामने काफी दिक्कतों का सामना है. इस सीट से उनके सामने मैदान में जोरदार टक्कर देने वालों में भाजपा के राजेश्वर सिंह और कांग्रेस के रूद्रदमन सिंह बबलू हैं.
लखनऊ मध्य की सीट से चुनाव लड़ रहे सपा प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा को विवादित बयानों और जनाधार वाला नेता कहा जाता है. उन पर 250 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. हालांकि, ये मुकदमे जनांदोलन से संबंधित हैं न कि अपराध से संबंधित. रविदास मेहरोत्रा 2012 में बनी सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर थे. उनका राजनीतिक कॅरियर काफी लंबा रहा है. एक बार फिर वे 2022 के रण में चुनाव लड़ रहे हैं. उनके मुकाबले भाजपा ने लखनऊ मध्य से रजनीश गुप्ता, सपा ने आशीष श्रीवास्तव और बसपा ने सदफ जाफर को मैदान में उतारा है. साल 2017 में लखनऊ मध्य में 3,68,411 मतदाता थे. वहीं, उस समय 53.15 फीसदी मतदान हुआ था. 13 प्रत्याशी मैदान में इस बार खम ठोंक रहे हैं. साल 2017 में लखनऊ केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र में कुल 366952 मतदाता थे. कुल वैध मतों की संख्या 195025 थी. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बृजेश पाठक इस सीट से जीते और विधायक बने थे. उन्हें कुल 78400 वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा कुल 73306 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वह 5094 मतों से हार गए थे.
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समाजवादी पार्टी के कद्दावर सांसद रहे नरेश अग्रवाल के बेटे और सपा के पूर्व विधायक नितिन अग्रवाल भी इस चुनाव में काफी अहमियत रखते हैं. वे चुनावी मैदान में उतरने से पहले भाजपा की मदद से विधानसभा के उपाध्यक्ष भी चुने गए थे. उनका हालांकि सपा की ओर से काफी विरोध किया गया था. मगर उन्हें जीत मिली थी. इस बार वे चौथे चरण में हरदोई से चुनाव लड़ रहे हैं. यूं तो उनकी और उनके पिता नरेश अग्रवाल की हरदोई में काफी पकड़ मानी जाती है. मगर इस बार के राजनीतिक समीकरणों के बारे में कोई भी कयास लगाना जल्दबाजी होगा. इस सीट पर 4,13,133 मतदाता हैं. साल 2017 में यहां 58.53 फीसदी मतदान हुआ था. इस बार हरदोई (156) से कुल 15 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा के सिंबल से चुनाव लड़ रहे नितिन अग्रवाल को सपा से अनिल वर्मा, बसपा से शोभित पाठक और कांग्रेस से आशीष सिंह चुनौती दे रहे हैं.
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अपने सख्त अंदाज और तल्ख बयानों के जानी जाने वालीं रायबरेली से कांग्रेस की पूर्व विधायक अदिति सिंह 2022 के चुनावी महासमर में भाजपा के सिंबल से चुनाव लड़ रही हैं. वह चौथे चरण के चुनाव में काफी अहम मानी जा रही हैं. रायबरेली से बगावत करके कांग्रेस को कमजोर करने के लिए उनका उठाया गया यह कदम काफी चर्चित है. भाजपा ने भी रायबरेली सदर की सीट को अपनी नाक की लड़ाई बना ली है. वहीं, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी ताबड़तोड़ दौरे करके इस सीट को जीतने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी भी उनके खिलाफ उतरे कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार कर चुकी हैं. ऐसे में अदिति सिंह का जीतना रायबरेली में कांग्रेस के लिए वजूद का सवाल बन सकता है.