UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी तैयारियों में जुटी हुई. बीजेपी सभी वर्गों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है. इसी कड़ी में अब बीजेपी की नजर किसानों पर हैं. माना जा रहा कि यूपी चुनाव से पहले सरकार किसानों को साधने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर कानूनी बना सकती है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी विधायकों और नेताओं के विरोध की वजह से भी यह काम चुनाव से पहले हो सकता है. बीजेपी नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से गन्ना का समर्थन मूल्य बढ़ाने और एमएसपी पर कानून बनाने का सुझाव दिया है. वहीं, किसान वर्तमान एमएसपी को गारंटी कानून बनाने की जगह सी-2 प्लस 50 की मांग कर रहे हैं.
किसानों की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा इस समय यूपी और उत्तराखंड में महापंचायत कर रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ भी एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने का समर्थन किया है. इसके अलावा, पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसानों के सम्बन्ध में पत्र लिख चुके हैं. उन्होंने मुजफ्फरनगर की किसान पंचायत के दौरान भी अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया था, मुजफ्फरनगर में लाखों किसान धरना प्रदर्शन में जुटे हैं. वे हमारे ही लोग हैं. हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से पेश आने की जरूरत है.किसानों के दर्द, उनके दृष्टिकोण को समझें और उनके साथ जमीनी लोगों से जुड़ें.
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बता दें, दिल्ली बॉर्डर पर पिछले साल से किसान अांदोलन कर रहे हैं. इसमें उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के किसान भी शामिल हैं. मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत में राकेश टिकैत ने साफ कहा कि हम दिल्ली बॉर्डर से नहीं हटेंगे, भले ही हमें अपनी जान क्यों न गंवानी पड़ी. उन्होंने कहा, हमें फसलों पर एमएसपी की गारंटी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 2022 में किसानों की आय दोगुनी होगी. पहली जनवरी से हम दोगुनी रेट पर फसल बेचेंगे.
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किसान नेताओं का कहना है कि वे स्वामीनाथन आयोग द्वारा दिए गए सी2 फॉर्मूले को ही मानेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. भाकियू का कहना है कि मोर्चा की मांग तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने की है.
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एमएसपी का आंकलन करने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग (Agricultural Costs and Prices Commission) ने खेती की लागत के तीन वर्ग बनाए हैं- ए2, ए2 प्लस एफएल और सी2. ए2 फॉर्मूले में फसल उत्पादन के लिए किसानों द्वारा बीज, खाद, ईंधन और सिंचाईं की लागत शामिल है. ए2 प्लस एफएल फॉर्मूले में खर्च के साथ फसल उत्पादन लागत में किसान का अनुमानित मेहनताना भी जोड़ा जाता है जबकि सी2 फॉर्मूले में खेती के व्यावसायिक मॉडल को अपनाया गया है. इसे कुल नकद लागत, किसान के पारिवारिक पारिश्रमिक, खेत की जमीन का किराया और कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज शामिल होता है.
Posted By : Achyut Kumar