उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के लिए चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है. प्रदेश में वोटिंग प्रक्रिया कुल सात चरणों में संपन्न हुई. 10 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे. इसके साथ ही सूबे में एक नई सरकार का ऐलान कर दिया जाएगा. 10 मार्च को ही पता चलेगा कि यूपी का अगला सीएम कौन होगा. दरअसल, प्रदेश में पिछले 37 साल से कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दो बार सीएम नहीं बना है. अब जानना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ इस रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब होते हैं या नहीं. 37 साल पहले कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी लगातार दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद से कोई ऐसा मुख्यमंत्री नहीं हुआ जो इस रिकॉर्ड को तोड़ सके.
उत्तर प्रदेश में अब तक 22 मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लेकिन आजादी के बाद की बात करें तो 20 मुख्यमंत्री. इन 20 व्यक्तियों के अतरिक्त, तीन व्यक्ति राज्य के कार्यकारी मुख्यमंत्री भी रहे हैं, जिनका कार्यकाल बहुत छोटा है. वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं जो कि 19 मार्च 2017 से इस पद पर आसीन हैं. आजादी से पहले मोहम्मद अहमद सईद खान को अंग्रेज गवर्नर हैरी ग्राहम हैग ने यूनाइटेड प्रोविंसेस के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त किया था. इसके बाद गोविंद वल्लभ पंत मुख्यमंत्री रहे जोकि एकमात्र ऐसे सीएम हैं जिन्होंने आजादी से पहले और बाद दोनों ही बार प्रदेश की सत्ता संभाली.
गोविंद वल्लभ पंत (कांग्रेस) आजादी से पहले यूनाइटेड प्रोविंसेस और बाद में संपूर्ण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. पंत का पहला कार्यकाल 17 जुलाई 1937 से 2 नवंबर 1939 तक रहा। आजादी के बाद 1946-1954 तक लगातार आठ साल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. भारत रत्न गोविंद वल्लभ पंत देश के चौथे गृहमंत्री रहे थे.
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संपूर्णानंद (कांग्रेस) के रूप में उत्तर प्रदेश की जनता को दूसरे मुख्यमंत्री मिले. 28 दिसंबर 1954 से 6 दिसंबर 1960 तक लगातार 5 साल 344 दिन वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
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चंद्रभानू गुप्ता (कांग्रेस) के रूप में उत्तर की जनता को तीसरे मुख्यमंत्री मिले, चंद्रभानू 7 दिसंबर 1960 से 1 अक्तूबर 1963 तक यानी 2 साल 298 दिन तक मुख्यमंत्री रहे. उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए 14 मार्च 1967 को सीएम चुना गया, और दो अप्रैल 1967 को इस्तीफा दे दिया. तीसरी बार 26 फरवरी 1969 से लेकर 17 फरवरी 1970 तक मुख्यमंत्री रहे.
सुचेता कृपलानी (कांग्रेस) उत्तर प्रदेश की ही नहीं बल्की देश में किसी भी राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. वे 2 अक्तूबर 1963 से तीन मार्च 1967 तक मुख्यमंत्री रही.
चौधरी चरण सिंह (भारतीय क्रांति दल) एक ऐसा नेता जिनके नाम आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड दर्ज है. 3 अप्रैल 1967 से 25 फरवरी 1968 तक पहली बार किसान नेता चौधरी चरण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने. भारतीय क्रांति दल के मुखिया चौधरी चरण सिंह दूसरी बार 18 फरवरी 1970 से 1 अक्तूबर 1970 तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद चौधरी चरण सिंह देश के पांचवे प्रधानमंत्री भी रहे.
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कमलापति त्रिपाठी (कांग्रेस) 4 अप्रैल, 1971 से 12 जून, 1973 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. स्वतंत्रता सेनानी और लेखक रहे कमलापति त्रिपाठी ने रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी भी निभायी.
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हेमवती नंदन बहुगुणा (कांग्रेस) ने 2 साल 21 दिन तक यूपी की सत्ता पर राज किया. पहली बार 8 नवम्बर, 1973 से 4 मार्च, 1974 तथा दूसरी बार 5 मार्च, 1974 से 29 नवम्बर, 1975 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
नारायण दत्त तिवारी (कांग्रेस) एक ऐसा नाम जिन्होंने तोड़ा यूपी की राजनीति में लगातार दो बार सीएम बनने का रिकॉर्ड. नारायण दत्त तिवारी तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. पहली बार 21 जनवरी 1976 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उनका यह कार्यकाल 99 दिन में ही खत्म हो गया. दूसरी बार तीन अगस्त 1984 और तीसरी बार 25 जून 1988 को मुख्यमंत्री बने.
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रामनरेश यादव (जनता पार्टी) 23 जून, 1977 से 28 फरवरी, 1979 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
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बनारसी दास (जनता पार्टी) 28 फरवरी 1979 से 17 फरवरी 1980 तक बनारसी दास यूपी के मुख्यमंत्री रहे.
विश्वनाथ प्रताप सिंह (कांग्रेस) ने 9 जून 1980 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया. विश्वनाथ प्रताप सिंह 9 जून 1980 से 18 जुलाई 1982 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. सिंह का कार्यकाल 2 साल 39 दिन का रहा. प्रताप सिंह भारत के आठवें प्रधानमंत्री भी रहे थे.
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श्रीपति मिश्र (कांग्रेस) को 19 जुलाई 1982 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. श्रीपति का कार्यकाल 2 साल 14 दिन का रहा। 19 जुलाई 1982 से 02 अगस्त 1984 तक वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
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वीर बहादुर सिंह (कांग्रेस) ने उत्तर प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. वीर बहादुर सिंह का कार्यकाल 2 साल 274 दिन तक रहा। 24 सितंबर 1985 को उन्होंने यूपी की कमान संभाली थी.
मुलायम सिंह यादव (जनता दल, समाजवादी पार्टी) पहली बार पांच दिसंबर 1989 को जनता दल से यूपी के मुख्यमंत्री चुने गए. मुलायम सिंह का पहला कार्यकाल 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक चला. इसके बाद 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा वह केन्द्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं.
मायावती (बसपा) के नाम उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक बार सीएम रहने का रिकॉर्ड है. वह प्रदेश की अब तक चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. पहली बार उन्होंने 3 जून 1995 को मुख्यमंत्री पद का कामकाज संभाला. इस दौरान वह 3 जून 1995 से 18 अक्टूवर 1995 तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद दूसरी बार 21 मार्च 1997 से 20 सितम्बर 1997 तक मायावती मुख्यमंत्री रही, और फिर तीसर बार 3 मई 2002 से 26 अगस्त, 2003 तक और फिर चौथी बार 13 मई 2007 से 6 मार्च 2012 तक बसपा सुप्रीमो मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री रही.
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कल्याण सिंह (भाजपा) ने पहली बार 24 जून 1991 में मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था. कल्याण सिंह का पहला कार्यकाल 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक चला, जबकि दूसरी बार वह 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे
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राम प्रकाश गुप्ता (भाजपा) प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री बने. वह 12 नवंबर, 1999 से 28 अक्टूबर, 2000 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
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राजनाथ सिंह (भाजपा) ने 28 अक्तूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली. राजनाथ सिंह वर्तमान समय में केंद्र की मोदी सरकार में देश के रक्षा मंत्री हैं.
उत्तर प्रदेश को राज्य का सबसे युवा मुख्यमंत्री साल 2012 में मिला. अखिलेश यादव (सपा) उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव का कार्यकाल 2012 में शुरू हुआ था. पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं.
उत्तराखंड में जन्मे योगी आदित्यनाथ (भाजपा) प्रदेश के 22वें और वर्तमान मुख्यमंत्री हैं. 2017 में इन्होंने प्रदेश की कमान संभाली थी. 1998 से 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे.