Gorakhpur News: योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद को मिली बेल, CJM कोर्ट से मिली गिरफ्तारी के आदेश पर राहत

सीजेएम कोर्ट ने 3 दिन पहले संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. उन्हें 10 अगस्त तक गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश जारी किया गया था. हालांकि, बुधवार को उन्होंने जमानत हासिल करने में सफलता पा ली. सीजेएम कोर्ट से उन्हें राहत दे दी गई है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 10, 2022 2:25 PM

Minister Sanjay Nishad got bail: निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री डॉक्टर संजय निषाद को सीजेएम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सीजेएम कोर्ट ने 3 दिन पहले संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. उन्हें 10 अगस्त तक गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश जारी किया गया था. हालांकि, बुधवार को उन्होंने जमानत हासिल करने में सफलता पा ली. सीजेएम कोर्ट से उन्हें राहत दे दी गई है. इससे पहले यूपी सरकार के एक और मंत्री राकेश सचान पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. आर्म्स एक्ट के एक मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ था.

क्या है संजय निषाद पर मामला?

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के खिलाफ गोरखपुर की सीजेएम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है. उन्हें गिरफ्तार कर 10 अगस्त तक कोर्ट में पेश करने के लिए दिए आदेश जारी हुआ है. ये मामला 7 साल पुराना है. साल 2015 में सरकारी नौकरियों में निषाद जाति को आरक्षण देने की मांग को लेकर सहजनवां थानाक्षेत्र के कसरवाल में आंदोलन चल रहा था. इस दौरान भीड़ हिंसक हो गई थी. इसके बाद संजय निषाद समेत कई लोगों के खिलाफ बलवा, तोड़फोड़, आगजनी और अन्य संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया था. उन पर भीड़ को भड़काने का आरोप है. इस आंदोलन में गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. साथ ही कई पुलिसवाले भी जख्मी हुए थे.

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विरोधियों पर बरसे संजय निषाद

डॉ संजय कुमार निषाद ने गोरखपुर में प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि निषाद पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाने में मछुआ समाज का महत्वपूर्ण योगदान है. मछुआ समुदाय ने मेरे त्याग, तपस्या और कुर्बानियों का मूल्यांकन किया है. डॉक्टर संजय निषाद ने कसरवल के आंदोलन के बारे में कहा, ‘7 जून, 2015 को कसरवल की लड़ाई में मैंने अपने एक भाई को खो दिया लेकिन सत्य की लड़ाई में न तो मैं पीछे हटा और न ही मेरी पार्टी के कार्यकर्ता.’ उन्होंने कहा, ‘कसरवल आंदोलन में जेल गया, लाठियां खाई हैं. मैंने अपने पिछड़े, शोषित और कमजोर समाज को हक दिलाने का बीड़ा उठाया है. अपने लक्ष्य की तरफ अपने लोगों के दम पर लगातार आगे बढ़ता रहा. जब मछुआ समुदाय अपना सिर उठाकर जीना शुरू कर रहा है तो समाज के कुछ ठेकेदार परेशान हैं. इसीलिए समय-समय पर दुष्प्रचार का हथकंडा अपनाते हैं लेकिन उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि मैं डरने वाला नहीं हूं.’

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रिपोर्ट : कुमार प्रदीप

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