Twin Tower: ट्विन टावर के ध्वस्त होते ही रडार पर जिम्मेदार, सरकार ने तैयार की भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट

Twin Towers Demolition: नोएडा के सेक्टर-93A में बने सुपरटेक के ट्विन टावर (Twin Towers Demolition) ध्वस्त कर दिए गए हैं. इस बीच अब योगी सरकार ने इस इमारत के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. सरकार ने करीब 26 भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट तैयार की है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 29, 2022 7:45 AM

Lucknow News: नोएडा के सेक्टर-93A में बने सुपरटेक के ट्विन टावर (Twin Towers Demolition) जमींदोज कर दिए गए हैं. सिलसिलेवार ब्लास्ट के बाद महज 8 सेकेंड में नोएडा का विख्यात ट्विन टावर मिट्टी का ढेर में तब्दील हो गया. इस बीच अब योगी सरकार ने इस इमारत के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. सरकार ने करीब 26 भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट तैयार की है.

दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई जारी

वहीं इस अवैध इमारत में भष्टाचार को लेकर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा भ्रष्टाचार पर एक्शन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है. दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

भ्रष्टाचार में शामिल 26 अधिकारियों पर गिरेगी गाज

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार में शामिल 26 अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. सरकार ने अधिकारियों की लिस्ट भी जारी कर दी है. ये सभी अधिकारी सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर एपेक्स और सेयान के निर्माण के दौरान नोएडा अथॉरिटी में तैनात थे.

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क्यों गिराए गए सुपरटेक के ट्विन टावर

सुपरटेक अवैध ट्विन टावर एपेक्स और सेयान साल 2009 में बने थे. इस प्रोजेक्ट में करीब 1000 फ्लैट्स बनाए जाने थे. लेकिन बाद में बिल्डिंग के प्लान में बदलाव किया गया. इसके बाद कई खरीदार साल 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए. इसमें से 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है.

इस मामले में 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्रधिकरण को फटकार लगाई और इस प्रोजेक्ट को अवैध घोषित करके ध्वस्त करने का आरोप दे दिया. इसके बाद सुपरटेक कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने तब हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दे दिया.

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