Lucknow News: उत्तर प्रदेश (UP) की योगी सरकार (Yogi Govt) का पूरा फोकस अब ग्रामीण इलाकों से आर्थिक तंगी दूर कर अधिक से अधिक रोजगार पहुंचाने पर है. ऐसे में सरकार ने यहां लगने वाले सूक्ष्म एवं लघु खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों (Food Processing Industry) को 75 केवीए तक के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर सब्सिडी देने का फैसला किया गया है. सरकार अब सौर ऊर्जा परियोजना की लागत पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देगी. इसके साथ ही महिलाओं के स्वामित्व और संचालन वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में संयंत्रों पर 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रयास में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने इच्छुक निवेशकों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिया है. दरअसल, उत्तर प्रदेश गन्ना और कई फलों के अग्रणी उत्पादकों में से एक है और योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही कृषि उत्पादों और खाद्य को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया है.
एक बयान के अनुसार, चूंकि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आमतौर पर सूक्ष्म और लघु पैमाने पर होते हैं, जो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होते हैं, उनके लिए स्वतंत्र बिजली औद्योगिक फीडर एक व्यवहार्य विकल्प नहीं होगा. योगी सरकार ने 75 केवीए तक के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने पर निवेशकों को 50 फीसदी सब्सिडी देने का फैसला किया है. सरकार ने महिलाओं के स्वामित्व वाली और संचालित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को 90 प्रतिशत सब्सिडी देने का भी फैसला किया है.
सरकार की ओर से उ0प्र0 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-23 लाई गई है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमियों को उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक रियायतें और अनुदान प्रदान किए जा रहे हैं. बयान में कहा गया कि, नई नीति खाद्य क्षेत्र में निवेशकों को एक इकाई, मंडी शुल्क और विकास शुल्क की स्थापना पर स्टांप शुल्क का भुगतान करने से भी छूट देती है, जबकि निवेशकों द्वारा किए गए नुकसान को कम करती है और उत्पादन में स्टार्टअप का उपयोग करती है.
इतना ही नहीं प्रदेश में इकाइयों के विस्तार के लिए संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य से संबंधित व्यय पर 35 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपये है. योगी सरकार ने उद्यमियों के लिए बाहरी विकास शुल्क में 75 प्रतिशत की छूट की भी घोषणा की है.
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पहले बाहरी विकास शुल्क, ज्यादातर मामलों में भूमि की दर से अधिक हुआ करता था. खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए निवेशकों को स्टांप शुल्क के भुगतान से भी छूट दी गई है. इसकी प्रतिपूर्ति खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा बजट के माध्यम से की जायेगी. इसके अलावा, प्रसंस्करण के लिए अन्य राज्यों से लाए गए कृषि उत्पादों पर मंडी शुल्क और उपकर भी माफ कर दिया जाएगा क्योंकि इससे रोजगार और राजस्व कर में वृद्धि होगी.