UP Lok Sabha By Election Result: आजमगढ़ में तीसरी बार उपचुनाव, किसको मिलेगी जीत!

आजमगढ़ लोकसभा में पहला उपचुनाव 1978 में हुआ था. यहां से स्व. रामनरेश यादव सांसद थे, लेकिन उन्हें बाद में मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इसके कारण यह सीट खाली हो गई थी. दूसरी बार उपचुनाव 2008 में हुआ था. सांसद रमाकांत यादव की सदस्यता समाप्त होने के कारण यह सीट खाली हुई थी.

By Amit Yadav | June 26, 2022 9:19 AM
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Azamgarh Lok Sabha By Election Result: आजमगढ़ लोकसभा सीट पर तीसरी बार उपचुनाव हो रहा है. हर बार उपुचनाव में आजमगढ़ की जनता ने अप्रत्याशित फैसला दिया है. देखना है, 2022 के उपचुनाव में आजमगढ़ की जनता समाजवादी पार्टी के साथ जाती है या फिर वह बीजेपी या बसपा के प्रत्याशी को यहां से जिताकर भेजती है.

कांग्रेस को हराना था मुश्किल

आजमगढ़ लोकसभा में पहला उपचुनाव 1978 में हुआ था. यहां से स्व. रामनरेश यादव सांसद थे, लेकिन उन्हें बाद में मुख्यमंत्री बना दिया गया था. इसके कारण यह सीट खाली हो गई थी. इस कारण आजमगढ़ में उपचुनाव की नौबत आ गई थी. कांग्रेस ने यहां से मोहसिना किदवई को उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने 1978 के उपचुनव में जनता पार्टी के रामबचन यादव को हराकर यह सीट जीती थी.

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दूसरे उपचुनाव में बीएसपी ने हासिल की थी जीत

इसके अलावा आजमगढ़ लोकसभा सीट पर दूसरी बार उपचुनाव 2008 में हुआ था. सांसद रमाकांत यादव की सदस्यता समाप्त होने के कारण यह सीट खाली हुई थी. सपा ने उपचुनाव में यहां से बलराम यादव को मैदान में उतारा था. इससे नाराज रमाकांत यादव बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतर गये थे. बीएसपी ने यहां से अकबर अहमद डंपी को टिकट दिया था. 2008 के उपचुनाव में डंपी ने सपा और बीजेपी को हराते हुए चुनाव जीत लिया था.

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि 2008 में यूपी में बसपा की सरकार थी. उस समय बीएसपी ने 2.27 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे. बीजेपी के टिकट से मैदान में उतरे रमाकांत को 1.73 लाख से अधिक वोट मिले थे. वहीं सपा के बलराम यादव 1.56 लाख वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.

त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी सीट

अब 2022 में आजमगढ़ में तीसरी बार उपचुनाव हो रहा है. सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण यह सीट खाली हुई थी. 2019 में अखिलेश यादव ने यह सीट बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को हराकर जीती थी. इस बार उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव वहां से दावेदार हैं. वहीं बीजेपी ने निरहुआ को दोबारा मैदान में उतारा है. बीएसपी से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस चुनाव में कौन जीतेगा, इसका रिजल्ट जल्द ही सामने होगा.

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