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‘सियासी फायदे के लिए बढ़ाई हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत’, तंजीम उलमा इस्लाम का एजेंडा पेश

लव जिहाद, धर्मांतरण और आतंकवाद के नाम पर उत्पीड़न बंद करने की मांग की गई. एजेंडा जारी करने से पहले देश भर के प्रमुख उलमा और आलिमों ने बरेलवी मरकज दरगाह आला हजरत स्थित इस्लामिक रिसर्च सेंटर पर हुई तंजीम उलमा-ए-इस्लाम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिरकत की.

Barelliy Urs News: आला हजरत उर्स में ऑल इंडिया तंजीम उलमा इस्लाम ने मुस्लिम एजेंडा पेश किया है. मुस्लिम एजेंडे में हिन्दू-मुस्लिम के बीच बढ़ती नफरत के लिए सियासी दलों को जिम्मेदार ठहराया गया. लव जिहाद, धर्मांतरण और आतंकवाद के नाम पर उत्पीड़न बंद करने की मांग की गई. एजेंडा जारी करने से पहले देश भर के प्रमुख उलमा और आलिमों ने बरेलवी मरकज दरगाह आला हजरत स्थित इस्लामिक रिसर्च सेंटर पर हुई तंजीम उलमा-ए-इस्लाम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिरकत की. इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई.

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ऑल इंडिया तंजीम उलमा इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने 17 सूत्री मुस्लिम एजेंडा जारी किया. एजेंडे में केंद्र और राज्यों की सरकारों के साथ राजनीतिक दलों से देश की एकता और अखंडता के लिए काम करने की मांग की गई. इसके अलावा बेकसूर उलमा और मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने, लव-जिहाद, धर्मांतरण, टेरर फंडिंग और आतंकवाद के नाम पर सूझबूझ से किसी तरह के एक्शन लेने की बात कही गई. इन सब बातों के अलावा देश में आर्थिक आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग भी पास की गई.

एजेंडे में कहा गया राजनीतिक दल वोट के लिए मुसलमानों का इस्तेमाल करते हैं. वो सरकार बनने के बाद भूल जाते हैं. मुसलमान किसी भी राजनीतिक दल के गुलाम नहीं हैं. इस रवैये को छोड़ा जाए. ऐजेंडे में ऐलान किया गया जो दल मुसलमानों के लिए काम करेगा, उनके अधिकारों पर ध्यान देगा, उसी के साथ रहेंगे. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में देश के कई प्रमुख उलमा और आलिम ने वर्चुअल रूप से भी शिरकत की. इनमें ग्रांड मुफ्ती ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि, केरल के मुफ्ती सादिक सकाफी, पश्चिम बंगाल के मौलाना मजहर इमाम, कर्नाटक के मौलाना अब्दुल सलाम, आंध्र प्रदेश के मौलाना रिजवान, राजस्थान के मुफ्ती शाकिरुल कादरी, उत्तराखंड के मौलाना जाहिद रजा रजवी, दिल्ली के कारी सगीर अहमद रजवी शामिल थे.

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मुस्लिम एजेंडे में मुसलमानों को शिक्षा, व्यापार और अपने परिवार पर ध्यान देने के साथ समाज में फैली बुराइयों की रोकथाम करने की हिदायत दी गई. उन्हें आगाह किया गया है कि ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य में काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. मालदार मुसलमानों से गरीबों-कमजोरों के बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी लेने, मकतबों में अरबी उर्दू के अलावा हिंदी-अंग्रेजी और कंप्यूटर की शिक्षा देने, जमीन-जायजाद में बेटियों के हक को नजरंदाज नहीं करने को कहा गया. जकात की सामूहिक व्यवस्था पर जोर देते हुए जरुरतमंदों की मदद करने को कहा गया.

(इनपुट:- मुहम्मद साजिद, बरेली)

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