Bareilly News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 और स्थानीय प्राधिकरण (एमएलसी) सीट का चुनाव संपन्न होने के बाद हर किसी की निगाह नगर निकाय (नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत) के चुनाव पर लग गई है. यह चुनाव अक्टूबर में होना तय है. मगर, चुनाव से पहले परिसीमन और आरक्षण पर मंथन शुरू हो गया है.
लखनऊ नगर निकाय से 2017 के आरक्षण और परिसीमन की रिपोर्ट मांगी जाने लगी है. बरेली नगर निगम की मेयर सीट कभी भी सुरक्षित नहीं हुई है, जो इस बार सुरक्षित होना तय मानी जा रही है. जिसके चलते भाजपा के पुराने नेता मनोज थपलियाल, उमेश कठेरिया समेत आधा दर्जन प्रमुख दावेदार खामोशी से पार्टी के साथ ही मतदाताओं के बीच में अपनी पैठ बना रहे हैं. तो वहीं सपा और कांग्रेस में भी कुछ दावेदारी करने की तैयारी में हैं.
2017 के नगर निकाय चुनाव में चार शहर सहारनपुर, फिरोजाबाद, मथुरा और फैजाबाद नगर निगम बने थे, जबकि इस बार शाहजहांपुर पहले ही नगर निगम बन चुका है. इससे यूपी में नगर निगम की संख्या बढ़कर 17 हो गई है. पिछले चुनाव में 16 नगर निगम में से मेरठ नगर निगम की मेयर सीट एससी महिला और मथुरा नगर निगम का मेयर पद एससी पुरुष के लिए सुरक्षित थी.
दरअसल, फिरोजाबाद, वाराणसी, सहारनपुर और गोरखपुर ओबीसी के लिए आरक्षित था. इसमें फिरोजाबाद और वाराणसी मेयर सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित रखी गई थी, जबकि बरेली, आगरा, इलाहाबाद, मुरादाबाद, अलीगढ़, झांसी और फैजाबाद मेयर सीट अनारक्षित (सामान्य) थी. इसमें बरेली कभी सुरक्षित नहीं हुआ. मगर, यहां एससी की आबादी भी काफी है. इसलिए बरेली नगर निगम मेयर सीट एससी के लिए सुरक्षित होना तय है. पिछली बार 16 में से दो नगर निगम मेयर सीट आरक्षित थीं, जो इस बार भी होंगी. इससे झांसी और बरेली नगर निगम मेयर पद को एससी के सुरक्षित तय माना जा रहा है.
बरेली नगर निगम में 80 वार्ड हैं. इसमें से 35 वार्ड अनारक्षित (सामान्य) थे. 17 वार्ड सामान्य महिलाओं के लिए, 14 वार्ड ओबीसी, 08 वार्ड ओबीसी महिला, 04 वार्ड एससी पुरुष और दो वार्ड एससी महिला के लिए सुरक्षित किए गए थे. इस बार भी इतने ही वार्ड आरक्षित होने की उम्मीद है.मगर, अनारक्षित और सुरक्षित वार्ड बदल जाएंगे.
रिपोर्ट: मोहम्मद साजिद