Azam Khan News: अब्दुल्ला के बाद आजम खां की सदस्यता भी हुई रद्द, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

Azam Khan News: सपा विधायक एवं पूर्व मंत्री मुहम्मद आजम खां की सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रद्द कर दी है. हेट स्पीच मामले में 3 साल की सजा के ऐलान के बाद आजम खान के लिए यह बड़ा झटका है.

By Samir Kumar | October 29, 2022 9:43 PM

Azam Khan News: यूपी के रामपुर से सपा विधायक एवं पूर्व मंत्री मुहम्मद आजम खां की सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रद्द कर दी है. हेट स्पीच मामले में 3 साल की सजा के ऐलान के बाद सपा विधायक आजम खान के लिए यह बड़ा झटका है. शिकायतकर्ता आकाशदास सक्सेना की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने यह कार्रवाई की है. इससे पहले, आजम के बेटे एमएलए अब्दुल्लाह आजम की दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में 16 दिसंबर, 2019 को सदस्यता रद्द की गई थी.

कोर्ट के फैसले के बाद रद्द हुई सदस्यता

लोग प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 107/1 के तहत सपा के कद्दावर नेता अब्दुल्ला आजम का चुनाव रद्द किया गया. हालांकि, मामला कोर्ट में चलता रहा. इसके बाद, 2022 विधानसभा चुनाव में अब्दुल्लाह आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा से फिर चुनाव लड़ा और वह विधायक बने. हालांकि, इस बार आठ बार के विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दस बार के विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री मुहम्मद आजम खां की सदस्यता हेट स्पीच के मामले में कोर्ट के फैसले के बाद रद्द की है. बता दें कि सपा नेता आजम खां के खिलाफ रामपुर में लगातार मुकदमे दर्ज किए गए. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी. उनको 27 महीने बाद 20 मई को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली. जिसके बाद वे रिहा हुए थे.

सोशल मीडिया पर यूजर्स दे रहे ऐसी प्रतिक्रिया

जिसको लेकर सोशल मीडिया पर यूजर की अलग-अलग राय आने लगी है. सोशल मीडिया पर तंजीम नाम के एक यूजर ने लिखा है, हेट स्पीच पर अगर सदस्यता रद्द होती, तो सबसे पहले बीजेपी नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा आदि की सदस्यता रद्द कर कार्रवाई की जाती. लेकिन, आजम खां पर हेट स्पीच पर नहीं, मुस्लिम होने के नाते कार्रवाई का आरोप लगाया है. इसके साथ ही एक अन्य यूजर अंजुम ने लिखा है, बीजेपी ने जुल्म की इंतहा कर दी है. आजम खान जैसे नेताओं का राजनीतिक करियर बर्बाद करने के लिए कार्रवाई की जा रही. सिद्धार्थ नाम के एक अन्य यूजर ने लिखा है, यह बदले की कार्रवाई है, जो सियासत में अच्छी नहीं. सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में यूजर आजम के साथ हैं. वहीं, कुछ ने कार्रवाई का समर्थन भी किया है.

जानिए आजम खां से जुड़ा पूरा मामला

उल्लेखनीय है कि रामपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां को तीन साल की सजा और 25 हजार का आर्थिक जुर्माना लगाया था. यह हेट स्पीच 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान रामपुर की मिलक तहसील के एक गांव में आजम खां ने दी थी. उसी भाषण के मामले में सदस्यता रद्द की गई. विधानसभा अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद प्रमुख सचिव ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मुहम्मद आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द करने को पत्र लिखा है, लेकिन यह भी जल्दबाजी में गलत लिख दिया है. आजम खां 37 शहर विधानसभा से विधायक हैं. मगर, प्रमुख सचिव के द्वारा जारी पत्र पर 38 मिलक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से मुहम्मद आजम खां के प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होने की बात लिखी गई है. इससे भी मामला फंस सकता है. उनकी सदस्यता को 27 अक्टूबर से रद्द किया गया है.

आजम खां के सियासी सफर पर एक नजर

आजम खां ने 1976 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति शुरू की थी. इसके बाद 1980 में पहला विधानसभा चुनाव जनता पार्टी सेकुलर से जीते. 1985 में लोक दल के टिकट पर, 1989 में जनता दल के टिकट पर, 1991 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1992 में उन्होंने सपा का दामन थाम लिया. वह सपा के संस्थापक सदस्य हैं. मुलायम सिंह यादव ने पार्टी गठन के वक्त राष्ट्रीय महासचिव बनाया था. 1993 में सपा के टिकट पर चुनाव जीते. लेकिन, 1996 के विधानसभा चुनाव में अफरोज खान ने उन्हें हरा दिया. जिसके चलते सपा ने राज्यसभा भेजा. इसी दौरान उनकी मुस्लिम नेता के रूप में पहचान बन गई. 2002 में फिर विधायक बने और 2007 में भी जीत दर्ज की. 2012 में विधायक बनने के साथ ही सपा की यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. 2017 के चुनाव में फिर जीते. मगर, 2019 में सांसद चुनकर दिल्ली चले गए. इसके बाद से ही मुकदमों के बाद जेल भेजे गए. लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद 2022 में फिर विधायक बने थे और 10वी बार विधायक हैं.

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