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UP Politics: बीजेपी का ये मास्टर प्लान, क्या मिशन 2024 को करेंगा आसान;Video

UP Politics: दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है उसी तरह यूपी का रास्ता पूर्वांचल से होकर जाता है, शायद ये बात बीजेपी को समझ में आ गई हैं यही कारण है. कि बीजेपी का पूरा फोकस पूर्वांचल पर है. पूर्वांचल यूपी का सियासी गढ़ बनता जा रहा है. Video

UP Politics: जिस तरह दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है उसी तरह यूपी का रास्ता पूर्वांचल से होकर जाता है, शायद ये बात बीजेपी को समझ में आ गई हैं यही कारण है. कि बीजेपी का पूरा फोकस पूर्वांचल पर है. पूर्वांचल यूपी का सियासी सियासी गढ़ बनता जा रहा है. यही कारण है की सभी पार्टियों की निगाहें पूर्वांचल पर हैं. जिसमे बीजेपी ज्यादा सक्रिय हैं कारण विधानसभा में अच्छा परिणाम न मिलना और लोकसभा में पूरा कब्ज़ा हो. यही कारण है की राज्यपालों की नियुक्ति में यूपी से सात नाम है.

जिसमे से 6 अकेले पूर्वांचल से हैं. कभी योगी को टक्कर देने वाले गोरखपुर के शिव प्रताप शुक्ला हिमाचल के राज्यपाल बनाये गए तो यूपी सरकार में रहें मंत्री और कद्दावर नेता कलराज मिश्र को राजस्थान का राज्यपाल बनाए गए है. आदिवासी समाज से आने वाले वाराणसी से लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम के राज्यपाल बनाए गए है. लोनिया समाज से आने वाले आजमगढ़ के फागू चौहान मेघालय के राज्यपाल बनाए गए है. मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल है, तो भदोही से बीड़ी मिश्रा लद्दाख उप राज्यपाल बनाए गए. बुलंदशहर से आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल बनाए गए है.

जिसमे 6 पूर्वांचल से तो एक पश्चिम यूपी से है. अब ये समझते है पूर्वांचल क्यों खास है और किसको क्यों राज्यपाल बनया गया. यूपी में बताते है 8 से 11 % ब्रह्मण वोट है. जिनका 20 सीटों पर दबदबा जिसमे 10 सीटों पर 20% तो 15 सीटों पर 15%वोट है. यही कारण है की पूर्वांचल को व उसके तराई बेल्ट पर ज्यादा फोकस है जहां ब्रह्मण समाज की संख्या ज्यादा है. लोनिया समाज को साधने के लिए फागु चौहान, आदिवासियों के साथ साथ आरएसएस और बीजेपी संगठन को साधने के लिए लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को राज्यपाल बनाया गया है.

बीजेपी ने राज्यपालों की नियुक्ति में ब्रह्मणों के साथ साथ, ओबीसी, लोनिया, राजभर आदिवासी समाज को भी साधने का काम किया है.जिससे पूरे पूर्वांचल में कब्ज़ा हो सके. पूर्वांचल में 25 जिले है और 26 लोकसभा सीटे है 26 लोकसभा सीटों में 19 बीजेपी और 7 विपक्ष के पास है. ऐसे में बीजेपी की नजर इन सात सीटों पर है. बीजेपी आजमगढ़ गढ़ भले जीत गई हो पर गाज़ीपुर से मनोज सिन्हा हार गए थे तो बीजेपी को पता है की गाज़ीपुर और आज़मगढ़ में जहां एक भी विधानसभा सीट नहीं है वहां लड़ाई आसान नहीं इसी लिए समय से पहले और पड़े प्लान के साथ काम कर रहीं है..अब ये देखना होगा की बीजेपी इस चाल में कितना कामयाब होती है. एक बात तो तय हो गई है कि राजनीति में किसी का दखल हो न हो पर पूर्वांचल का जरुर है. Video

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