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UP Panchayat Chunav : यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण का इंतजार कर रहे लोगों के लिए आई ये अहम खबर

UP Panchayat Chunav : उत्‍तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. सूबे में चुनाव कराने की तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं.जानिए कितने चरण में चुनाव हो सकते हैं. आरक्षण को लेकर अपडेट आई है. इससे पहले निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्चों को लेकर गाइडलाइंस जारी करने का काम किया है. up panchayat election 2021 latest updates

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) को लेकर सभी प्रत्याशियों ने कमर कस ली है. हालांकि नई आरक्षण सूची (Panchayat Chunav reservation list) के इंतजार में उम्मीदवार हैं जो जल्द ही जारी हो सकती है. आपको बता दें कि पंचायत चुनाव की तारीखें अभी तक घोषित नहीं की गई है. इससे पहले निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्चों को लेकर गाइडलाइंस जारी करने का काम किया है.

नई गाइडलाइंस पर नजर डालें तो पहली बार पंचायत चुनाव में भी निर्वाचन आयोग सख्ती दिखलाते नजर आएगा. इस बार उम्मीदवारों को पाई-पाई का हिसाब देना होगा. उम्मीदवारों के प्रचार में खर्च करते वक्त समझदारी दिखानी होगी. आयोग ने चुनावी खर्च की लिमिट बहुत कम करने का काम इस बार किया है.

गाइडलाइंस की मानें तो प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ रहे प्रत्‍याशी इस बार सिर्फ 30,000 रुपये तक ही खर्च करने में सक्षम होंगे जबकि बीडीसी सदस्य के लिए चुनावी खर्च 25,000, वॉर्ड मेंबर के लिए 5000, जिला पंचायत सदस्य के लिए 75,000, ब्‍लॉक प्रमुख के लिए 75,000 रुपये की सीमा तय की गई है.

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को दो लाख रुपये तक ही खर्च करने को कहा गया है. निर्वाचन आयोग की गाइडलाइंस में सारी चीजें साफ कर दी गईं हैं. इसमें कहा गया है कि पंचायत चुनाव लड़ने वाले हर एक पद के उम्मीदवार को पाई-पाई का हिसाब देना होगा. प्रत्याशी की ओर से कोई भी आयोजन यदि किया जाता है तो उसमें उसे एक-एक चीज का हिसाब रखना होगा और आयोग के सामने प्रस्तुत करना होगा.

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ऐसे लुभाया जाता था वोटर को : यहां चर्चा कर दें कि अब तक पंचायत चुनाव में निर्वाचन आयोग ने खर्च की कोई सीमा नहीं की की थी. पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी छूट के खर्च करते थे. ग्रामीण इलाकों के वोटर को लुभाने के लिए भंडारे के आयोजन से लेकर शराब की पार्टी तक को देखने को मिलती थी. इस बार आयोग सख्‍त नजर आ रहा है और ऐसे कार्यक्रमों पर रोक लगाने के लिए खर्च की सीमा तय करने का काम किया है.

हफ्तों खाने और पीने का इंतजाम : गांवों में वोटरों को लुभाने के लिए भंडारे के आयोजन उम्मीदवार की ओर से किया जाता था. टेंट वालों को हफ्तों पहले ठेका दे दिया जाता था. चुनाव में लगे लोगों के लिए हफ्तों खाने और पीने का इंतजाम उम्मीदवार की ओर से कराया जाता था. लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिखेगा. उम्मीदवार यदि टेंट और कैटरिंग मंगवाने का काम करेंगे तो वह भी उनके चुनावी खर्च में जोड़ दिया जाएगा.

Posted By : Amitabh Kumar

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