उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Chunav ) की तैयारी तेज हो चुकी है. पिछले दिनों चुनाव को अप्रैल तक कराने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया जिसके बाद आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया में तेजी नजर आ रही है. शासन की ओर से पंचायत राज विभाग से वर्ष 1995 से लेकर वर्ष 2020 तक का पूरा डाटा मांगा गया है.
951 ग्राम पंचायतों में आरक्षण किस वर्ग में रहा और आरक्षण कैसे बनाने का काम किया गया इसकी पूरी जानकारी विभाग को देनी होगी. डीपीआरओ द्वारा पूरा डाटा तैयार करने का काम जारी है. आपको बता दें कि ग्राम प्रधानों का कार्य दिसंबर 2020 में पूरा हो चुका है जिसके बाद से प्रशासन ने 951 ग्राम पंचायतों की कमान संभाल रखी है.
शासन स्तर से पंचायत चुनावों की तैयारियां भी जोरों से जारी है. लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल तक पंचायत चुनावों को पूरा कराने के निर्देश दिए हैं. इस निर्देश के बाद अब शासन ने आरक्षण की रूप-रेखा बनाने की तैयारी तेज कर दी है.
आरक्षण का पूरा डाटा मांगा : गौर हो कि पंचायत राज विभाग की ओर से डीपीआरओ से वर्ष 1995 से लेकर 2020 तक का आरक्षण का पूरा डाटा मांगा गया है. आदेश में कहा गया कि 16 ब्लॉक की 951 ग्राम पंचायतों में आरक्षण के क्या-क्या नियम अब तक लागू हुए और किसी तरह इसे लागू करने का काम किया गया था. इसका पूरा डाटा उपलब्ध कराया जाए. वहीं, शासन से आदेश मिलने के बाद विभाग द्वारा आरक्षण का पूरा डाटा तैयार करने का काम किया जा रहा है.
क्या कहा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने को कहा कि सूबे में पंचायत चुनाव 30 अप्रैल, 2021 तक करा लिए जाएं. न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने हाथरस निवासी विनोद उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. इससे पूर्व, बुधवार को चुनाव आयोग के वकील ने अदालत के समक्ष चुनाव के कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसे देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि संविधान के आदेश के मुताबिक, पंचायत चुनाव 13 जनवरी, 2021 को या इससे पूर्व करा लिए जाने चाहिए थे. चुनाव आयोग के निर्वाचन कार्यक्रम से यह चुनाव मई, 2021 में पूरा होता दिख रहा है। प्रथम दृष्टया हम चुनाव आयोग द्वारा दिए गए कार्यक्रम को स्वीकार नहीं कर सकते.
Posted By : Amitabh Kumar