मुख्तार अंसारी के गैंगस्टर से पॉलिटिशियन बनने तक के सफर से जुड़ी इन बातों को आप भी जानें
BSP MLA Mukhtar Ansari Political Life उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्तार अंसारी का दबदबा रहा है और पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल में शिफ्ट किए जाने के दौरान वे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए है. बता दें कि यूपी के मऊ के मायावती की पार्टी बीएसपी के विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रदेश में पचास से ज्यादा मामले दर्ज हैं. गैंगस्टर से पॉलिटिशियन बने मऊ से बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी की जीवन से जुड़ी बातों के बारे में आप भी विस्तार से जानें.
BSP MLA Mukhtar Ansari Political Life उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्तार अंसारी का दबदबा रहा है और पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल में शिफ्ट किए जाने के दौरान वे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए है. बता दें कि यूपी के मऊ के मायावती की पार्टी बीएसपी के विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रदेश में पचास से ज्यादा मामले दर्ज हैं. गैंगस्टर से पॉलिटिशियन बने मऊ से बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी की जीवन से जुड़ी बातों के बारे में आप भी विस्तार से जानें.
अंसारी का अपराध से रहा है पुराना नाता
– मुख्तार अंसारी का पहली बार 1988 में अपराध की दुनिया में नाम सामने आया था. ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले के साथ ही कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की बनारस में हुई मर्डर केस में भी मुख्तार सुर्खियों में आया था.
– 1990 में गाजीपुर के सरकारी ठेकों को लेकर ब्रजेश सिंह गैंग के साथ मुख्तार अंसारी के गिरोह के बीच दुश्मनी शुरू हुई थी़
– 1991 में चंदौली में मुख्तार अंसारी ने रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर हत्या कर दी और फरार हो गया था.
– 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमला मामले में अंसारी एक बार फिर सुर्खियों में आया.
– 1996 में पहली बार विधायक बने अंसारी ने ब्रजेश सिंह को कड़ी चुनौती देनी शुरू कर दी.
– पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के किडनैपिंग केस के बाद अंसारी का नाम 1997 में अपराध की दुनिया देश भर छा गया.
अंसारी की राजनीति में एंट्री
– मुख्तार अंसारी पांच बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक रह चुका है.
– राजनीति में अंसारी का प्रवेश बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र संघ पदाधिकारी के तौर पर एक्टिव होने की वजह से हुई थी.
– अंसारी और उसके भाई अफजल अंसारी ने 2007 में बसपा पार्टी को ज्वाइन किया था. उस दौरान पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अंसारी को गरीबों का मसीहा और राबिनहुड तक कह दिया था.
– हालांकि, 2010 मायावती ने अंसारी और उसके भाइयों को बसपा से बाहर कर दिया था. जिसके बाद अंसारी ने कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई थी, लेकिन 2017 में बसपा में फिर से उसकी वापसी हो गई.
– 2009 में अंसारी ने वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. हालांकि उसे हार मिली थी.
– मुख्तार ने वर्ष 2014 में बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन, इस बार भी भी हार का सामना करना पड़ा था.
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