UP News: 2024 के पहले आमने-सामने हुए बुआ और बबुआ, मायावती ने कहा- अखिलेश यादव की है बीजेपी से सेटिंग

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट किए. अपने पहले ट्वीट में उन्होंने कहा कि सपा यूपी में अपना जनाधार खोती जा रही है, जिसके लिए उसका अपना कृत्य ही मुख्य कारण है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 10, 2022 1:29 PM

Uttar Pradesh News: 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है पर उससे पहले उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल गरमाया हुआ है. एक तरफ भाजपा के खिलाफ विपक्ष की लामबंदी की कोशिश भी जारी है तो दूसरी तरफ एक दूसरे पर बयानबाजी का दौर भी. 2019 का लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने वाली सपा और बसपा इसबार एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आ रहे हैं. 2019 का बुआ और बबुआ की जोड़ी में इतना दरार आ गया है कि दोनों तरफ से बयानबाजी के शब्दबाण एकदूसरे पर फेंके जा रहे हैं. ताजा हमला बसपा सुप्रीमो मायावती ने किया है.

मायावती ने किया पलटवार

बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट किए. अपने पहले ट्वीट में उन्होंने कहा कि सपा यूपी में अपना जनाधार खोती जा रही है, जिसके लिए उसका अपना कृत्य ही मुख्य कारण है. परिवार, पार्टी व इनके गठबंधन में आपसी झगड़े, खींचतान तथा आपराधिक तत्वों से इनकी खुली सांठगांठ व जेल मिलान आदि की खबरें मीडिया में आमचर्चाओं में है तो फिर लोगों में निराशा क्यों न हो. वहीं अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि सपा की भाजपा के साथ अन्दरुनी मिलीभगत किसी से छिपी नहीं है.

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मायावती ने अखिलेश यादव पर बड़ा हमला करते हुए आगे कहा कि यही खास वजह है कि सपा के मुख्य विपक्षी पार्टी होने पर बीजेपी सरकार को यहाँ वाकओवर मिला हुआ है व सरकार को अपनी मनमानी करने की छूट है. इससे आमजनता व खासकर मुस्लिम समाज का जीवन त्रस्त व उनमें काफी बेचैनी. सपा मुखिया अपनी इसी प्रकार की जनविरोधी कमियों को छिपाने के लिए दूसरों के खिलाफ अक्सर अनर्गल व बचकानी बयानबाजी आदि करके व करवाकर लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास करते रहते हैं, जिससे लोगों व देश की अन्य विपक्षी पार्टियों को भी सपा से सावधान रहने की ज़रूरत है.

अखिलेश यादव ने कसा था तंज

बता दें कि कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव ने मायावती के संदर्भ में कहा था, “बहुजन समाज पार्टी वही काम करती है जो बीजेपी कहती है. अगर 2017 के चुनाव में और पिछले चुनाव में बसपा ने बीजेपी की मदद नहीं की होती तो उनकी सरकार नहीं बनी होती. आप उनके फैसलों को देख लीजिए, राष्ट्रपति चुनाव ही. आजमगढ़ के उपचुनाव में उन्होंने कुछ नहीं बोला और दो दिन बाद बीजेपी का समर्थन कर दिया.”

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