लखनऊ : कांग्रेस आलाकमान के रवैये से नाराज होकर इसी साल भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद अब उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) बनाए जाएंगे. गुरुवार की देर रात से ही लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर आयोजित की गई भाजपा कोर कमेटी की बैठक में इस मसले पर फैसला किया गया. हालांकि, भाजपा कोर कमेटी की बैठक में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और उनकी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य को भी विधान परिषद भेजने पर सहमति जाहिर की गई है.
मीडिया की खबरों के अनुसार, सीएम आवास पर आयोजित भाजपा कोर कमेटी की इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, धर्मेंद्र प्रधान, स्वतंत्र देव सिंह, राधा मोहन सिंह, केशव प्रसाद मौर्य, केशव प्रसाद मौर्य और सुनील बंसल मौजूदगी में जितिन प्रसाद को विधान परिषद भेजने के मामले पर फैसला किया गया.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण को अपने पक्ष करने के लिए भाजपा ने जितिन प्रसाद को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर शामिल किया है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के कुल मतदाताओं में ब्राह्मणों की हिस्सेदारी 12 फीसदी है. सूबे के ब्राह्मण मतदाता भाजपा से नाराज चल रहे हैं. पार्टी ब्राह्मण मतदाताओं की इसी नाराजगी को दूर करने के लिए जितिन प्रसाद को शामिल कराया है.
बता दें कि इस साल के जून में महीने में भाजपा का दामन थामने वाले जितिन प्रसाद ने 27 साल की उम्र में 2004 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद वे 2009 के लोकसभा चुनाव में भी जीते और कांग्रेस नीत वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाए गए. देश में मोदी लहर के दौरान उन्हें 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही, 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनका कोई खास प्रदर्शन नहीं रहा और न ही वे 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का बंगाल प्रभारी रहते हुए पार्टी को मजबूत किया.
उत्तर प्रदेश की सरकार में आधा दर्जन से अधिक ब्राह्मण मंत्री और संगठन में कई अहम पदों पर इस बिरादरी के लोगों के बैठे होने के बावजूद सूबे के ब्राह्मणों में भाजपा को लेकर अच्छी धारणा नहीं है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्र के टाइम से यूपी के ब्राह्मणों ने भाजपा से दूरी बना रखी है.