UP Politics: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव इस समय चर्चा में हैं. दरअसल, आज समाजवादी साइकिल यात्रा हो रही है. सपा पूरे प्रदेश में गांव से लेकर शहर तक यह यात्रा आयोजित कर रही है. पार्टी के बड़े नेता जिलों में हरी झंडी दिखाकर साइकिल यात्रा को रवाना किए. डिंपल यादव ने भी कन्नौज में सपा की साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. डिंपल कन्नौज की पूर्व सांसद हैं.
कन्नौज से डिंपल यादव द्वारा समाजवादी साइकिल यात्रा को हरी झंडी दिखाने के बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह यहीं से चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगी. वह कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के सुब्रत पाठक के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
इससे पहले 2009 में डिंपल यादव ने फिरोजाबाद लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें राजबब्बर के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा. यह उप-चुनाव उनके पति अखिलेश यादव द्वारा कन्नौज और फिरोजाबाद सीट जीतने के कारण हुआ था. साल 2012 में जब यूपी में सपा की सरकार बनी तो उन्हें कन्नौज से निर्विरोध लोकसभा सांसद चुना गया. इसके बाद 2014 में भी वह कन्नौज से सांसद बनीं.
निर्विरोध सांसद बनने वाली डिंपल देश की 44वीं और यूपी की चौथी नेता हैं. वह एकमात्र ऐसी महिला सांसद बनीं, जिनके पति मुख्यमंत्री थे और ससुर उस सदन में सदस्य. डिंपल महिलाओं से संबंधित मुद्दों को लेकर अक्सर बोलती नजर आती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में डिंपल यादव ने समाजवादी पार्टी के लिए कई रैलियां की. उनके भाषणों को लोगों ने खूब पसंद किया और सराहना की.
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बता दें, विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक सात चरणों में आयोजित हुए. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया, जबकि सपा और कांग्रेस के गठबन्धन को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा था. इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटें हासिल करते हुए समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया था और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे.
डिंपल यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में कन्नौज से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के सुब्रत पाठक से 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हार गईं. सपा और बसपा के गठबंधन को 15 सीटों से संतोष करना पड़ा. इनमें से सपा ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की.
डिंपल यादव का कन्नौज से चुनाव हारना सपा के लिए निराशाजनक था, क्योकि यह यादव बाहुल्य सीट दशकों से सपा का गढ़ रही है. अखिलेश यादव द्वारा मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कन्नौज लोकसभा मे उच्च स्तर का विकास किया गया था.
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अब देखना यह है कि क्या 2022 में डिंपल यादव अपने पति अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना पाएंगी? क्या सपा प्रदेश में चुनाव जीत पाएगी? क्या उनका जादू 2012, 2014 और 2017 की तरह मतदाताओं पर चलेगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन डिंपल की सक्रियता से अन्य दलों में चिंता की लकीरें जरूर खिंच गई है.
Posted by : Achyut Kumar