UP Weather Update: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत राज्य के अधिकतर इलाकों में गलनभरी ठंड का प्रकोर बढ़ता ही जा रहा है. प्रदेश में प्रचंड सर्दी से हाल-फिलहाल राहत की कोई उम्मीद भी नहीं है. बर्फीली हवाओं से बचने के लिए लोग गर्म कपड़े तो पहन ही रहे हैं, साथ में सुबह के समय अलाव के सहारे बैठे नजर आते हैं.
मौसम केंद्र लखनऊ के कार्यवाहक निदेशक मोहम्मद दानिश ने बताया कि हवा की ऊपरी सतह में घने कोहरे के कारण सूरज की तपिश जमीन तक नहीं पहुंच पा रही है. नतीजतन धूप नहीं निकलने से दिन का तापमान भी कम ही रह रहा है. दानिश ने बताया कि इसके साथ ही उत्तराखंड की ऊंचाई वाली पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद वहां से आ रही बर्फीली हवाओं ने मैदानी इलाकों में ठिठुरन भरी सर्दी पैदा कर दी है.
उन्होंने बताया कि, आने वाले तीन-चार दिनों तक मौसम ऐसा ही रहने का अनुमान है. हालांकि बृहस्पतिवार से ठंड के मिजाज में कुछ बदलाव आने की संभावना है. लेकिन प्रचंड सर्दी से कोई खास राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. मौसम केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घटों के दौरान राज्य के पश्चिमी हिस्सों में अनेक स्थानों पर तथा पूर्वी भागों में कुछ जगहों पर घना कोहरा छाया रहा जबकि राज्य के ज्यादातर पश्चिमी इलाके और कुछ पूर्वी हिस्सों में शीतलहर का प्रकोप रहा.
पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य के अयोध्या, कानपुर, लखनऊ, बरेली और मुरादाबाद मंडलों में दिन के तापमान में खासी गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा प्रयागराज मंडल में यह काफी नीचे रहा. राज्य के बाकी सभी मंडलों में भी अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रिकॉर्ड किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य के अनेक मंडलों में रात का तापमान भी सामान्य से नीचे रिकॉर्ड किया गया. इस अवधि में फतेहपुर राज्य का सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया.
अगले 24 घंटों के दौरान भी शीतलहर चलने की संभावना है और कुछ स्थानों पर घना कोहरा भी छाया रह सकता है. राजधानी लखनऊ और आसपास के इलाकों में भी घना कोहरा गिरने और दिन में शीतलहर चलने की संभावना है. इस दौरान अधिकतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है. घने कोहरे और शीतलहर के कारण जनजीवन पर खासा असर पड़ा है. ठिठुरन भरी सर्दी के कारण लोग आमतौर पर घर में ही दुबके हुए हैं और प्रचंड ठंड से राहत के लिए अलाव का ही सहारा है.