Lucknow News: प्रदेश में आधी आबादी को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए योगी सरकार नई पहल करने जा रही है. इसमें महिला सशक्तीकरण के तहत स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों की आमदनी बढ़ाकर उन्हें लखपति बनाया जाएगा.
स्वयं सहायता समूह में शामिल होने वाली सदस्य महिलाओं को रोजगार के साथ उद्यमी बनाने के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी. कार्यक्रम में प्रत्येक महिला सदस्य की न्यूनतम वार्षिक आमदनी एक लाख रुपये करने का लक्ष्य है. पहले तीन वर्षों में 15 लाख महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा. इसका जिम्मा उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को सौंपा गया है. सरकार इसको मिशन मोड में लागू कर जल्द धरातल पर उतारना चाहती है.
इस कार्यक्रम की शुरुआत पहले चरण में 11 जनपदों में की जाएगी. इसमें वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, सुलतानपुर, बहराइच, बांदा, बस्ती, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर, हमीरपुर और सोनभद्र शामिल हैं. इन जिलों में चरणबद्ध तरीके से अभियान चला कर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा और उन्हें विभिन्न प्रकार की योजनाओं से जोड़ कर वार्षिक आय में बढ़ोतरी का प्रयास किया जाएगा. साथ ही उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
कार्यक्रम को योजना के मुताबिक सफल बनाने के लिए समय सीमा भी निर्धारित की गई है. इसके तहत जिला और विकासखंड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा. जल्द ही जिला और विकासखण्ड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन हो जाएगा. अगले वर्ष 30 मार्च के बाद इसकी समीक्षा की जाएगी.
जिला स्तर पर जिलाधिकारी टास्कफोर्स के अध्यक्ष होंगे, जबकि मुख्य विकास अधिकारी सचिव होंगे. वहीं उपायुक्त स्वतः रोजगार, उपायुक्त मनरेगा इसके सदस्य होंगे. इसके अलावा कृषि विकास, बागवानी, पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, मत्स्य पालन, पशुपालन के सदस्य भी इस टास्क फोर्स में शामिल होंगे.
यह टास्क फोर्स प्रगति की मासिक समीक्षा करेगी. टास्क फोर्स का कार्य लखपति महिला ऐप पर विकास खण्ड के सभी स्वयं सहायता समूह की सदस्यों की स्वघोषित आय को अपलोड करने की समीक्षा करना होगा. इसके साथ ही मनरेगा में सम्मिलित निजी एवं सामूहिक आजीविका संवर्धन योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा भी टास्क फोर्स करेगी.
दरअसल केन्द्र सरकार ने स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों की आमदनी बढ़ाने वाली राष्ट्रीय लखपति दीदी योजना शुरू की है. इस योजना से देश की कुल 8.64 करोड़ महिला सदस्यों की आर्थिक स्थितियों में सुधार होगा. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को योजना को तत्काल प्रभाव से लागू करने का सुझाव दिया है.
-
विभिन्न योजनाओं के अमल में स्वयं सहायता समूहों का सहयोग लेना, जिससे सदस्यों को रोजगार मिल सके.
-
घरेलू उद्यम शुरू करने के लिए समूहों को बैंकों से अति रियायती दरों पर बिना किसी गारंटी के ऋण देना.
-
स्वयं सहायता समूह के तैयार उत्पादों की बिक्री के लिए कई तरह के प्लेटफार्म की सुविधा प्रदान करना.
-
महिला समूहों की सदस्यों को मासिक मानदेय पर ‘बैंक सखी’ नियुक्त करना.
-
सरकारी अस्पतालों के साथ संबद्ध कर ‘स्वास्थ्य सखी’ के रूप में तैनाती की पहल.
-
मनरेगा के तहत मनरेगा मेट का दायित्व देना. श्रमिकों के कामकाज का हिसाब-किताब का जिम्मा संभालना.
-
सामुदायिक शौचालयों, पंचायत भवनों, स्कूलों और अन्य कार्यालयों में कांट्रैक्ट के आधार पर स्वयं सहायता समूहों को कार्य सौंपना.
-
ग्राम पंचायतों में पेयजल आपूर्ति, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक बनाने का जिम्मा.