Bareilly News: फाजिल-ए-बरेलवी इमाम अहमद रजा खां (आला हजरत) का 104वां उर्स शुक्रवार दोपहर 2.38 बजे कुल शरीफ की रस्म के साथ संपन्न हो गया. शहर के इस्लामियां मैदान में दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) की सदारत में संपन्न हुआ. कुल की रस्म अदा होने से पहले सज्जादानशीन ने दुनिया भर के मुसलमानों को खास पैगाम जारी किया.
उन्होंने अपने बच्चे और बच्चियों की तालीम पर जोर देने की अपील की. इसके साथ ही बच्चों पर खास निगाह रखने की बात कही. रामपुर रोड स्थित मदरसा जमीयतुर्रजा में काजी-ए-हिंदुस्तान की सरपरस्ती में तीन दिवसीय उर्स-ए-रजवी समापन हुआ. शहजादा-ए-ताजुश्शरिया मुफ्ती असजद रज़ा ने कहा कि मस्जिदों और मदरसों को हुकूमत ए हिंद निशाना ना बनाएं. मुसलमानों के संस्थानों को लेकर हुकूमत-ए-हिंद के फैसलों पर एतराज जताया. लाखों अकीदतमंदों को खिताब करते हुए कहा कि हुकूमत-ए-हिंद ऐसे फैसले ले रही है, जिससे मुल्क के मुसलमानों के संस्थानों पर नुकसान पहुंच रहा है.
मदरसों की जांच पर हमें कोई एतराज नहीं, लेकिन जांच की आड़ में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. मुफ्ती अख्तर हुसैन आलिमी (बस्ती) ने खिताब करते हुए नौजवान युवाओं से सोशल मीडिया से ज्यादा अपनी तालीम पर वक्त देने की बात कही. आजकल का दौर देखा जा रहा है कि तालीम पर जोर कम और सोशल मीडिया पर जोर ज्यादा है. नौजवान युवाओं मुसलमानों से गुजारिश है, सोशल मीडिया से ज्यादा दूरी बनाएं और तालीम पर ज्यादा वक्त दें.
शुक्रवार सुबह उर्स स्थल इस्लामिया मैदान और मदरसा जामियातुर रज़ा में कुरानख्वानी से उर्स ए रजवी का आगाज हुआ.इसके साथ नात-ओ-मनकबत की महफिल सजाई गई.मदरसा जामियातुर रज़ा मे सुबह 09 बजे कारी शर्फोद्दीन ने तिलावत-ए-कुरान से की.नातख्वा रफीक़ रजा कादरी (मुंबई) और सैय्यद कैफ़ी अली ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया.देश-विदेश से आए दिखर उलमाओं और सज्जादगान ने आला हजरत की ज़िंदीगी पर रौशनी डाली.
दरगाह के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने कहा कि,जब बच्चें जवान हो जाएं, तो उनकी वक़्त पर बेहतर रिश्ता देखकर शादी कर दें. ताकि बच्चे बच्चियां कोई गलत कदम न उठा लें. इससे कानूनी व्यवस्था में भी खलल पड़ता है. साथ ही शादियों में फुजूलखर्ची व दहेज़ जैसी सामाजिक बुराईयों को खत्म करें. मुफ़्ती इमरान हनफ़ी ने आला हज़रत को भारत रत्न देने की बात कही.बांग्लादेश के मौलाना शमसुद्दीन हक़ ने भी खिताब कर नात-ओ-मनकबत पेश की.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली