Lucknow News: प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द महंगी बिजली का सामना करना पड़ सकता है. नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों से अगले 10 दिन में चले स्लैबवार ट्रैरिफ प्लान दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में अब माना जा रहा है कि इस बार बिजली दरों को बढ़ना लगभग तय है. चुनाव और लॉकडाउन के कारण पिछले 3 साल से यूपी में बिजली दरें नहीं बढ़ी हैं. महज एक दिन पर ही उत्तराखंड में बिजली दरों को बढ़ाने का फैसला लिया गया है.
इधर. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बढ़ोतरी के प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पहले ही 20.500 करोड बकाया आ रहा है. ऐसे में दरें बढ़ाने की वजह है उसको कम करना चाहिए.
बिजली कंपनियों और पावर कारपोरेशन द्वारा नए दरों को लेकर जारी निर्देश के बाद बिजली दरें बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है. हालांकि, बिजली की दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव इस पहले भी दिया जा चुका है. इससे पहले पिछले साल भी प्रस्ताव दिया गया था लेकिन कोरोना और और आर्थिक मंदी की वजह से उसको खारिज कर दिया गया था. नियामक आयोग ने बिना सब्सिडी के बिजली दर का प्रस्ताव दाखिल करने का आदेश दिया है. इस बार बिजली कंपनियों ने कुल वितरण हानियां लगभग 70% मानी हैं.