लखीमपुर खीरी केस के चश्मदीद गवाह पर जानलेवा हमला, भाजपा नेता पर लगे आरोप
Lakhimpur Kheri Violence Case: पिछले साल 3 अक्टूबर को, लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के एक समूह पर केंद्रीय मंत्री के स्वामित्व वाले वाहनों का एक काफिला किसानों को रौंदते हुए आगे निकल गया. इस हादसे में चार किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई थी.
Lakhimpur Kheri Violence Case: लखीमपुर खीरी कांड के चश्मदीद गवाह पर रामपुर में जानलेवा हमला किया गया है. इस केस के गवाह को कुछ लोगों ने रास्ते में रोककर जमकर पीटा और लहूलुहान छोड़कर फरार हो गए. पुलिस ने हमले में घायल गवाह की तहरीर पर भाजपा नेता समेत पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. बता दें कि इस मामले में देश के जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट किया. मालूम हो कि लखीमपुर खीरी में पिछले साल तीन अक्टूबर को उपद्रव के बाद हिसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत हो गयी थी.
#लखीमपुरखीरी के एक अन्य गवाह हरदीप सिंह पर आज बिलासपुर रामपुर में हमला किया गया। #आशीषमिश्रा #मोनू pic.twitter.com/iO1tazRLlH
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 11, 2022
बता दें कि बिलासपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव भुकसौरा निवासी हरदीप सिंह उर्फ मंत्री मलवई पुत्र सरदार हरि सिंह का कहना है कि वह लखीमपुर खीरी कांड के चश्मदीद गवाह हैं. वह रविवार की शाम सात बजे अपने साथी सतिद्र सिंह और जगजीत सिंह के साथ गांव नवाबगंज स्थित गुरुद्वारे से मत्था टेककर वापस अपने घर की ओर जा रहे थे. इस बीच रास्ते में उन्हें कुछ लोगों ने रोक लिया और लखीमपुर खीरी कांड में गवाही न दिए जाने का दबाव बनाने लगे. बता दें कि पीड़ित ने मार पीट का आरोप भाजपा नेता पर लगाया है.
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SIT ने पहले ही जतायी गवाहों की सुरक्षा की चिंता
पिछले साल 3 अक्टूबर को, लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के एक समूह पर केंद्रीय मंत्री के स्वामित्व वाले वाहनों का एक काफिला किसानों को रौंदते हुए आगे निकल गया. इस हादसे में चार किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. इसके बाद हुई हिंसा में भाजपा के दो नेता और एक वाहन चालक की मौत हो गई. मामले में मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 फरवरी को जमानत दे दी थी.
वहीं एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल अपील करने का अनुरोध करते हुए जमानत रद्द करवाने की अपील करने की सिफारिश की थी. इसका मुख्य आधार यह बताया गया है कि इस मामले के 98 गवाहों की सुरक्षा को देखते हुए यह करना बहुत जरूरी था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गवाहों को सुरक्षा देने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के 20 अक्टूबर को आए आदेश के तहत कदम उठाया गया है.