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UP: निकाय चुनाव में दल बदल की तैयारी, भाजपा, सपा-बसपा में करेगी सेंधमारी, पिछड़ी जाति के नेताओं पर निगाह

यूपी में नगर निकाय चुनाव से पहले नेताओं के बीच दल बदलने की होड़ दिखने लगी है. सबसे अधिक भाजपा में जाने की तैयारी है. नगर निकाय चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव करीब होने के कारण भाजपा की निगाह पिछड़ी जाति (OBC) के नेताओं पर लगी है.

Bareilly News: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव से पहले नेताओं के बीच पाला (दल) बदलने की होड़ दिखने लगी है. सबसे अधिक भाजपा में जाने की तैयारी है. नगर निकाय चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव करीब होने के कारण भाजपा की निगाह पिछड़ी जाति (OBC) के नेताओं पर लगी है. कई विपक्षी दलों के नेता भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों से जीत पक्की मानकर संपर्क कर रहे हैं.

सपा नेता के भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा

बरेली में सपा के एक बड़े नेता के भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा काफी तेजी से फैली हुई है. भाजपा खेमे में भी उनका टिकट पक्का माना जा रहा है. इसके साथ ही कई और भी ओबीसी जाति के नेता भाजपा के संपर्क में हैं. सपा के साथ ही बसपा, रालोद, कांग्रेस, आप में भी सेंधमारी का सिलसिला शुरू हो सकता है. बीजेपी, जनवरी से सदस्यता अभियान शुरू करने वाली है. इसमें विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं, पूर्व और वर्तमान जनप्रतिनिधियों के साथ जनाधार वाले कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल करने की तैयारी है.

भाजपा, सपा, और कांग्रेस की दलितों पर निगाह

यूपी में करीब 22 फीसद दलित वोट है. मगर, इसको बसपा का बेस वोट माना जाता था, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा को सिर्फ 12 फीसद वोट मिला है. इससे साफ है कि दलित बसपा से हटने लगा है. इसमें बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ गया, तो वहीं सपा के साथ भी आया. मगर, अब सभी दलों को दलित जोड़ने की कोशिश है. इसलिए भीम आर्मी के चंद्रशेखर को भी साधने की कोशिश शुरू हो गई है.

युवा वोटर्स में चंद्रशेखर का क्रेज

बसपा प्रमुख मायावती के बाद दलित वोटर्स और खासतौर से युवाओं में चंद्रशेखर का क्रेज बढ़ा है. खतौली और मैनपुरी में आजाद ने सपा के लिए प्रचार किया. इसका फायदा भी मिला. दोनों सीटों पर सपा की जीत हुई, हालांकि रामपुर में जरूर खेल बिगड़ गया. अब आजाद के जरिए एक बार फिर से अखिलेश दलित वोटर्स को साथ लाने की कोशिश में जुटे हैं.

बेस वोट की नाराजगी दूर करने में जुटी सपा

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में मुस्लिम वोट सपा के साथ गया था. मगर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर मुस्लिमों को तवज्जो न देने का आरोप है. मुहम्मद आजम खां के मामले में भी सपा ने कुछ नहीं किया. सपा विधायक नाहिद हसन, पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम, इरफान सोलंकी आदि के मामलों में सपा साथ नहीं आई.

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सपा पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप

उपचुनाव में बसपा प्रमुख ने सपा पर भाजपा से मिलीभगत कर मैनपुरी सीट जीतने का आरोप लगाया हैं, तो वहीं रामपुर की हार का जिम्मेदार बताया है. इसके बाद अखिलेश यादव पार्टी के बेस वोट मुस्लिम और यादव को साधने में जुटे हैं. इसलिए लोकसभा में मुरादाबाद के सांसद को जिम्मेदारी दी गई, तो वहीं इरफान सोलंकी से भी जेल में मुलाकात की गई.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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